नई दिल्ली (एजेंसी): सिविल जज सीनियर डिवीजन (फास्ट ट्रैक व एमपी-एमएलए) प्रशांत कुमार सिंह की अदालत ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम...
नई दिल्ली (एजेंसी): सिविल जज सीनियर डिवीजन (फास्ट ट्रैक व एमपी-एमएलए) प्रशांत कुमार सिंह की अदालत ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 28 लोगों के खिलाफ दाखिल प्रार्थना पत्र को सुनवाई योग्य न मानते हुए खारिज कर दिया। प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया गया था कि सीरम इंस्टीट्यूट ने कोरोना का भय दिखाकर बिना पर्याप्त परीक्षण के कोविशील्ड वैक्सीन लोगों को लगवाई और इस प्रक्रिया से लाभ अर्जित किया, जिसे प्रधानमंत्री को चंदा के रूप में दिया गया।
कानूनी कार्यवाही की आवश्यकता
अदालत ने प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के विरुद्ध कोई विधिक कार्यवाही करने से पूर्व अभियोजन स्वीकृति अनिवार्य है, और परिवादी द्वारा ऐसी कोई अभियोजन स्वीकृति प्रस्तुत नहीं की गई थी। इसी आधार पर अदालत ने प्रार्थना पत्र को सुनवाई योग्य नहीं माना।
विकास सिंह द्वारा लगाए गए आरोप
विकास सिंह ने अपने प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया कि कोविशील्ड वैक्सीन बिना उचित परीक्षण के लोगों को लगाई गई, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़े। उन्होंने कहा कि इससे हुए लाभ का हिस्सा प्रधानमंत्री को चंदे के रूप में दिया गया। प्रार्थना पत्र में उन्होंने प्रधानमंत्री समेत अन्य 28 लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की थी और पीड़ितों को क्षतिपूर्ति दिलाने की भी अपील की थी।
अदालत का निर्णय
अदालत के इस निर्णय के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि वैक्सीन दुष्प्रभावों के मुद्दे पर लगाए गए आरोपों को बिना उचित कानूनी प्रक्रियाओं के पालन किए बिना स्वीकार नहीं किया जा सकता। यह निर्णय उन सभी मामलों के लिए एक उदाहरण हो सकता है, जहां उच्च पदस्थ अधिकारियों के खिलाफ बिना उचित अनुमति के कानूनी कार्यवाही का प्रयास किया जाता है।
इस घटनाक्रम से यह संदेश भी मिलता है कि न्यायपालिका कानूनी प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन करती है और बिना उचित सबूत और स्वीकृति के किसी भी मामले को आगे बढ़ाने से इंकार करती है।
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