मनोरंजन : मैने अब तक जितने भी कैरेक्टर अलग-अलग फिल्मों, हिंदी सारियल्स और रंगमंच में प्ले किय हैं, उनमें से सबसे अलग है "मानव मार्केट...
मनोरंजन : मैने अब तक जितने भी कैरेक्टर अलग-अलग फिल्मों, हिंदी सारियल्स और रंगमंच में प्ले किय हैं, उनमें से सबसे अलग है "मानव मार्केट" का आदित्य वर्मा। कैरेक्टर को समझने में थोड़ा वक्त लगा पर जब आपके पास हैदर भाई जैसे डायरेक्टर हों तो देर से सही पर कैरेक्टर तक आप पहुंच ही जाते हो। मानव मार्केट का स्क्रीन-प्ले पैटर्न जो है वो काफी रोचक और दर्शकों को अपने साथ जोड़े रखने वाला स्क्रीन-प्ले है। क्योंकि ये बात करता मेरी, आपकी, उन सबकी जो डायरेक्ट या इनडायरेक्ट मेडिकल कॉर्पाेरेट का शिकार हुए हैं और सबसे अच्छी बात ये है कि, किसी समस्या के समाधान का नज़रिया है मानव मार्केट। ये कहना है, हिंदी फीचर फिल्म ‘‘मानव मार्केट‘‘ में एक अह्म किरदार निभा रहे अभिनेता बाली कुर्रे जी का।
बाली एक लम्बे अर्से से भिलाई रंगमंच से जुड़े रहे। उन्होने यहां कई रंग-संस्थाओं के साथ जुड़ कर कई नाटकों में अह्म किरदार निभाए। भिलाई में कुछ सालों तक काम करने के बाद बाली मुम्बई चले गए। जहां इन्होने बतौर वालेंटियर पृथ्वी थियेटर में कई नाटको में काम किया साथ ही कई नाटको में अभिनय भी। जिसमें से एक रंगा थियेटर मुम्बई के तत्वाधन में और बिजोन मंडल जी के निर्देशन में नाटक ‘‘पाई‘‘ भगवान के नाम की तलाश नाटक में, अभिनय किया जिसका शो पृथ्वी थियेटर के अलावा मुम्बई की कई और अलग-अलग जगहों पर हुआ। साथ ही बाली ने नाट्य भारती देहली की संस्था के साथ द वरचुअस बर्गलर में स्व. श्री रवि शर्मा जी के साथ काम किया। रवि शर्मा जी जो की एन.एस.डी प्रशिक्षण प्राप्त थे और हिंदी सिने जगत की कई बड़ी हस्तियों को जिन्होने एक्टिंग की ट्रेनिंग दी थी। उनके निर्देशन में काम करके बाली को काफी कुछ नया सीखने को मिला। इन सब आयामों में मिले अनुभवों का भरपूर उपयोग बाली ने अपने हर फिल्मी कामों में किया। चूंकि बाली भिलाई में भी रंगमंच से जुड़े थे सो हैदर जी के हमेशा सम्पर्क में रहे। वो बताते हैं की हैदर भाई जब भी कोई फिल्म करते हैं और उनके हिसाब का कैरेक्टर हुआ तो एक बार उन्हें ज़रूर कॉल करते हैं। इस बार भी यही हुआ उन्होने जब ‘‘मानव मार्केट‘‘ का प्लान किया तो मुझे एक कैरैक्टर के लिए बुलाया। मैने उनसे पूछा की ये कैरेक्टर मैं ही क्यों करू? यहां और भी तो बहुत सारे लोग हैं। जो ये कैरेक्टर प्ले कर सकते हैं। तो उन्होने बताया कि इस कैरेक्ट के लिए उन्हें एक अच्छे डिल-डौल वाले स्मार्ट और हैंडसम बंदे, (ये उन्होने कहा था) की ज़रूरत है और सबसे बड़ी वजह उन्होने ये बताई की बहुत नेचुरल पैटर्न पे काम करने वाला बंदा चाहिए। उन्होने भिलाई में मेरे प्ले देखे थे तबसे वो मुझ पर एक्ट को लेकर काफी भरोसा करते हैं। हां उनकी बस एक शर्त होती है की वर्कशॉप करना पड़ेगा। जब उन्होने मुझे बुलाया तो मैं गया और मानव मार्केट फिल्म की स्टोरी सुनकर ऐसा लगा की ये फिल्म पूरा का पूरा मेडिकल कॉर्पोरेट का चित्रण है जिससे न जाने कितने ही लोग हर रोज प्रभावित हो रहे हैं। ये एक ऐसी जगह है जहां की अनियमितताओं और अव्यवसथाओं पर कोई बोलने वाला ही नही है। सब के सब ज़िम्मेदार इस पर चुप्पी साधे बैठे हैं। चीजें आपके आस-पास होती रहती हैं पर जब तक आप उनसे ख़ुद प्रभावित न हो या उन पर बातचीत न हो आपको पता नही होता की आप कितनी बड़ी अमानवीयताओं के बीच सर्वाइव कर रहे हैं। फिल्म में काम करते-करते मुझे काफी कुछ अनुभव हुआ। हैदर सर ने मुझसे और बांकी सारे लोगों से बहुत अच्छा काम लिया है और सभी ने चाहे वो आर्टिस्ट हो या टेक्निीशियन्श सभी ने बहुत मेहनत की है। इस फिल्म में मुझे जो कमाल की बात और लगी वो ये की जिसको हैदर सर ने जिस कैरेक्टर के लिए कास्ट किया है वो उस कैरेक्टर में एकदम फिट लग रहा है। “मानव मार्केट” मेरी लाइफ की बेहतरीन फिल्मों में से एक है। “मानव मार्केट” एक ऐसी फिल्म जो बहुत सारी मानवीय संवेदनाओं और भावनाओं के साथ बहुत ही हंसी-मजाक में भी संजीदा बात बोल जाती है। अपनी मेकिंग और कंटेट की वजह से, हिंदी सिने जगत में छत्तीसगढ़ के कलाकारों की कल्पनाशीलता को मेंशन करेगी हिंदी फीचर-फिल्म “मानव मार्केट”।
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