रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में राजस्व प्रकरणों के त्वरित निराकरण के लिए 6 से 20 जुलाई तक राजस्व पखवाड़ा मनाने का निर्णय लिया है। इस ...
रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में राजस्व प्रकरणों के त्वरित निराकरण के लिए 6 से 20 जुलाई तक राजस्व पखवाड़ा मनाने का निर्णय लिया है। इस पहल के तहत शिविर लगाकर फौती, नामांतरण, बटवारा, अभिलेख त्रुटि सुधार समेत अन्य राजस्व प्रकरणों का मौके पर ही त्वरित समाधान किया जाएगा। लेकिन इस प्रयास को पटवारियों और तहसीलदारों की हड़ताल के कारण चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
पटवारियों ने 32 सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। वहीं, मंगलवार को तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों ने भी सात सूत्रीय मांगपत्र सौंपकर 10 से 12 जुलाई तक सामूहिक अवकाश पर जाने की घोषणा की है। महासमुंद जिले के झलप में नायब तहसीलदार युवराज साहू के साथ मारपीट की घटना के बाद यह कदम उठाया गया है।
कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के पदाधिकारियों ने मांगें पूरी नहीं होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी भी दी है। इससे राजस्व के कामों में बाधा आने की संभावना है, जो राज्य सरकार की त्वरित निराकरण योजना को प्रभावित कर सकता है।
• मुख्य मांगें
1. राजस्व न्यायालयों में सुरक्षा व्यवस्था: राज्य शासन के आदेशानुसार, राजस्व न्यायालयों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम की मांग।
2. प्रमोशन नीति में बदलाव: तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर प्रमोशन में 60:40 के बजाय 50:50 के अनुपात की घोषणा।
3. दर्जा सुधार: नायब तहसीलदारों को राजपत्रित का दर्जा प्रदान करना।
4. वेतन विसंगति का समाधान: वेतन विसंगतियों को दूर करना।
5. वाहन व्यवस्था: प्रोटोकाल, ला एंड आर्डर और मैदानी कार्यों के लिए वाहन व्यवस्था या वाहन भत्ता।
6. प्रशासनिक सहूलियतें: प्रत्येक पीठासीन अधिकारी के लिए एक वाचक, एक कम्प्यूटर ऑपरेटर, एक भृत्य तथा लैपटाप, स्कैनर, प्रिन्टर एवं स्टेशनरी फंड, फर्नीचर की व्यवस्था।
7. संलग्नीकरण संबंधी आदेश का क्रियान्वयन: तहसीलदार और नायब तहसीलदार का संलग्नीकरण नहीं करना और अधीक्षक व सहायक अधीक्षकों को तहसीलदार व नायब तहसीलदारों का प्रभार नहीं देना।
• राजस्व पखवाड़ा की सफलता पर प्रश्नचिन्ह
पटवारियों, तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों की हड़ताल से राजस्व पखवाड़ा की सफलता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। इस हड़ताल के चलते राजस्व के विभिन्न कार्यों में देरी और बाधा आने की संभावना है, जिससे आम जनता को परेशानी हो सकती है। राज्य सरकार को इन समस्याओं का समाधान करने और कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने के लिए तत्परता से कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि राजस्व प्रकरणों का त्वरित निराकरण सुचारु रूप से किया जा सके।
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