नई दिल्ली : लोकसभा में मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान गृहमंत्री अमित शाह और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के बीच तीखी बहस देखने को मिली। प्रश्नक...
नई दिल्ली : लोकसभा में मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान गृहमंत्री अमित शाह और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के बीच तीखी बहस देखने को मिली। प्रश्नकाल के दौरान, तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने पश्चिम बंगाल सरकार की वामपंथी उग्रवाद से निपटने में सफलता का उल्लेख किया। रॉय ने पूछा कि क्या केंद्र सरकार इस मॉडल का अध्ययन करके इसे अन्य राज्यों में लागू करने पर विचार करेगी।
इसके जवाब में गृहमंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना करते हुए कहा, "मुझे हैरानी है कि कोई भी राज्य बंगाल मॉडल को अपनाना चाहेगा।" शाह ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार उन राज्यों के मॉडल को लागू करने में कोई समस्या नहीं देखती जिन्होंने उग्रवाद के खिलाफ प्रभावी कदम उठाए हैं, लेकिन बंगाल मॉडल को उन्होंने अस्वीकार्य बताया।
शाह के इस बयान ने सत्ताधारी भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच पहले से चल रही राजनीतिक खींचतान को और बढ़ा दिया है। शाह ने अपने बयान में यह भी दावा किया कि उत्तर पूर्व भारत में वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में 60% की कमी आई है, जो केंद्र सरकार की नीतियों की सफलता को दर्शाता है।
गौरतलब है कि केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच कई मुद्दों पर टकराव की स्थिति बनी रहती है, जिनमें सुरक्षा एक प्रमुख विषय है। शाह के इस बयान के बाद तृणमूल कांग्रेस की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएँ आने की संभावना है, जिससे संसद का मौजूदा सत्र और अधिक गरमा सकता है।
इस मुद्दे पर राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी चुनावों के मद्देनजर इस तरह की बयानबाज़ी दोनों पार्टियों के बीच सियासी खेल का हिस्सा हो सकती है, जो अपने-अपने राजनीतिक आधार को मजबूत करने की कोशिश में हैं।
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