जगदलपुर: महाराणा प्रताप एवं छत्रपति शिवाजी वार्ड के रहवासियों ने सोमवार को निगम के खिलाफ अपनी नाराजगी जताते हुए एक अनोखे तरीके से विरोध प्र...
जगदलपुर: महाराणा प्रताप एवं छत्रपति शिवाजी वार्ड के रहवासियों ने सोमवार को निगम के खिलाफ अपनी नाराजगी जताते हुए एक अनोखे तरीके से विरोध प्रदर्शन किया। वार्डवासियों ने निगम द्वारा कूड़ा डालने वाली जगह पर ही चौपाल लगाई और अधिकारियों को बुलाकर समस्या से अवगत कराया।
मामला तब गर्माया जब वार्डवासियों ने रविवार को एक बैठक में यह तय किया कि वे सोमवार को पब्लिक वॉइस के सदस्यों के साथ निगम कार्यालय जाकर आयुक्त से मुलाकात करेंगे। वे वार्ड में फैली गंदगी और उससे आने वाली असहनीय दुर्गंध की समस्या को उठाने वाले थे। सोमवार की सुबह इस संबंध में सभी प्रमुख समाचार पत्रों में खबर छपने के बाद, निगम के अधिकारी तुरंत हरकत में आ गए और वार्डवासियों के निगम पहुंचने से पहले ही वे महाराणा प्रताप एवं छत्रपति शिवाजी वार्ड के डंपिंग यार्ड पहुंच गए।
अधिकारियों ने वार्डवासियों से उनकी समस्या सुनने की कोशिश की, लेकिन वार्डवासी अपनी समस्या आयुक्त से सीधे तौर पर बताने पर अड़े रहे। अधिकारियों ने बताया कि आयुक्त उस दिन बैठकों में व्यस्त हैं, जिसके बाद वार्डवासी अनिच्छा से ही सही, लेकिन अधिकारियों से बातचीत करने के लिए तैयार हो गए।
वार्डवासियों ने चौपाल के लिए उसी जगह को चुना जहां निगम कचरा डालता है। जब अधिकारी वहां पहुंचे, तो वार्डवासियों ने उनसे पूछा, "बदबू आ रही है न साहब?" इस सवाल ने अधिकारियों को असहज कर दिया। इसके बाद, तीन घंटे तक गहमा-गहमी का माहौल बना रहा। वार्डवासियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि उस जगह पर कचरा डालना पूरी तरह से बंद होना चाहिए। अधिकारियों ने इस मुद्दे को उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।
अंततः, वार्डवासियों ने तीन दिनों का अल्टीमेटम देते हुए आयुक्त के नाम ज्ञापन सौंपा।
चौपाल में मौजूद सामाजिक संगठन 'पब्लिक वॉइस' के सदस्य रोहित सिंह आर्य, बबला यादव, गोपाल तीर्थानी, धीरेंद्र पात्र, एन एस कुशवाहा आदि ने बताया कि स्थिति बेहद गंभीर है। उन्होंने कहा, "पूरे प्रदेश में स्वाइन फ्लू, डेंगू, मलेरिया जैसे संक्रमणों का खतरा बढ़ रहा है। एक ओर जहां सरकार इसके रोकथाम के लिए कदम उठा रही है, वहीं शहर में इस तरह की जानलेवा बीमारियों को निमंत्रण दिया जा रहा है।"
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर तीन दिनों में उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। पांच तारीख को पुनः उसी स्थल पर लोग इकट्ठे होंगे।
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