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महापौर चुनाव में कर्मचारी संगठनों का बड़ा कदम, अपना प्रत्याशी उतारने की तैयारी

जगदलपुर :  आगामी नगरीय निकाय चुनावों में इस बार एक नया मोड़ आने की संभावना है। बस्तर जिले के समस्त कर्मचारी संगठनों ने निर्णय लिया है कि वे ...

जगदलपुर : आगामी नगरीय निकाय चुनावों में इस बार एक नया मोड़ आने की संभावना है। बस्तर जिले के समस्त कर्मचारी संगठनों ने निर्णय लिया है कि वे महापौर चुनाव में अपना प्रतिनिधि उतारेंगे। कर्मचारियों की समस्याओं को राजनीतिक दलों द्वारा बार-बार अनदेखा किए जाने के चलते यह ऐतिहासिक कदम उठाया गया है।


शहर से सटे एक फार्म हाउस में आयोजित इस बड़ी बैठक में बस्तर जिले के प्रमुख कर्मचारी संगठनों ने हिस्सा लिया। बैठक में कर्मचारी नेताओं ने एक सुर में कहा कि प्रदेश की दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियां हर चुनाव में कर्मचारियों से कई वादे करती हैं, लेकिन सत्ता में आते ही उन्हें भूल जाती हैं। इन वादाखिलाफी के कारण कर्मचारियों के बीच गहरा असंतोष और आक्रोश व्याप्त है।


कर्मचारी वर्ग का अपना प्रतिनिधि :

बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि 2025 में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव में कर्मचारी वर्ग से एक प्रतिनिधि चुनाव मैदान में उतारा जाएगा। इसका उद्देश्य कर्मचारियों की मांगों और समस्याओं को सरकार के समक्ष प्रभावी ढंग से रखना है।


तीन नामों पर विचार :

बैठक में महापौर पद के लिए तीन प्रमुख कर्मचारी नेताओं के नामों पर चर्चा हुई। हालांकि अंतिम निर्णय अन्य विभागों के कर्मचारियों से चर्चा और आगामी बैठकों के बाद लिया जाएगा।


संगठनों की व्यापक भागीदारी :

बैठक में बस्तर जिले के कई प्रमुख संगठनों ने भाग लिया, जिनमें राजपत्रित अधिकारी संघ, तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ, शिक्षक संघ, पशु चिकित्सा अधिकारी संघ, स्वास्थ्य संयोजक संघ, डिप्लोमा इंजीनियर संगठन, न्यायालय कर्मचारी संघ, और लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ शामिल थे।


यह निर्णय केवल बस्तर जिले तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अन्य जिलों के कर्मचारी संगठनों से भी समर्थन की उम्मीद है।


कर्मचारी संगठन का संदेश :

बैठक के समापन पर कर्मचारी नेताओं ने स्पष्ट संदेश दिया कि अब समय आ गया है जब कर्मचारियों को अपने अधिकारों और समस्याओं के समाधान के लिए राजनीतिक नेतृत्व खुद संभालना होगा। महापौर पद पर कर्मचारी प्रतिनिधि के चयन को लेकर आगे की रणनीति जल्द ही तय की जाएगी।


कर्मचारी संगठनों का यह कदम राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव ला सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस निर्णय का आगामी चुनावों पर क्या प्रभाव पड़ेगा और प्रमुख राजनीतिक पार्टियां इस नई चुनौती का सामना कैसे करेंगी।


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