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पुतिन के कुछ घंटों का भारत दौरा इतना अहम क्यों है?

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  रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का अहम भारत दौरा कल यानी 6 दिसंबर को हो रहा है. यह दौरा कुछ घंटों का ज़रूर है लेकिन इसे बहुत ख़ास माना ज...

 रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का अहम भारत दौरा कल यानी 6 दिसंबर को हो रहा है. यह दौरा कुछ घंटों का ज़रूर है लेकिन इसे बहुत ख़ास माना जा रहा है.

अंग्रेज़ी अख़बार 'द हिंदू' अपनी रिपोर्ट में लिखता है कि भारत और रूस भारत-प्रशांत क्षेत्र और इसके कई आयाम पर अलग-अलग नज़र आते हैं, इस बैठक के दौरान इस मुद्दे पर भी नज़र रहेगी.

राष्ट्रपति पुतिन सोमवार की शाम नई दिल्ली पहुंच रहे हैं और वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने के बाद वो लौट जाएंगे.



'हिन्द-प्रशांत' की रणनीति की रूस करता रहा है आलोचना

रूस भारत के अमेरिका के साथ क़रीबी रिश्तों पर भी नज़रें गड़ाए हुए है. वो भारत, अमेरिका ऑस्ट्रेलिया और जापान के 'क्वॉड' गठजोड़ की भी आलोचना कर चुका है.

'हिंद-प्रशांत' के इस विचार पर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ ने 26 नवंबर को रूस-भारत-चीन (RIC) की बैठक में टिप्पणी की थी और इसे असमान साझेदारी कहा था.

साथ ही उन्होंने कहा था कि वो 'एशिया-प्रशांत' के पक्ष में हैं.

पुतिन से पहले लावरोफ़ और रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू रविवार को भारत पहुँच रहे हैं और वो अपने समकक्ष एस. जयशंकर और राजनाथ सिंह के साथ '2+2' बैठक में भागीदारी करेंगे.

सूत्रों का कहना है कि मॉस्को भारत के समुद्र चैनल खोलने की 'समावेशी' मांग के पक्ष में है, जिसके ज़रिए चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री कॉरिडोर को लाभ होगा. इसका लक्ष्य भारत को रूस के सुदूर पूर्व इलाक़े से जोड़ना है.


आने वाले महीनों में इस क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियों में साझेदारी में भी बढ़ोतरी मिलने की उम्मीद है क्योंकि जनवरी महीने में वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन में रूस के 11 गवर्नर भाग लेने आ रहे हैं.

एस-400 मिसाइल सौदे पर रहेगी नज़र

सोमवार के दौरे के दौरान एस-400 मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम की डिलिवरी पर हर किसी की नज़रें रहेंगी, जिसके कारण भारत पर अमेरिका के प्रतिबंधों का ख़तरा मंडरा रहा है.


हालांकि, भारत ने साफ़ कर दिया है कि उसकी रक्षा ख़रीद की नीति 'रणनीतिक स्वायतत्ता' से निर्देशित होती है जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों को तरजीह देती है.


दोनों पक्ष सोमवार को कई रक्षा सौदों को अंतिम रूप दे सकते हैं और इसको 'रूस का दिन' बताया जा रहा है. एके-203 असॉल्ट राइफ़लों के बनाने पर सौदा भी इस दिन की चर्चा का मुख्य आकर्षण रहने वाला है.


दोनों पक्ष रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ़ लॉजिस्टिक्स एग्रीमेंट (RELOS) भी कर सकते हैं, रूस ऐसा सातवां देश होगा जिसका भारत के साथ यह सौदा होगा. एक अन्य महत्वपूर्ण समझौता 10 साल के लिए रक्षा सहयोग जारी रखने पर हो सकता है. इसके साथ-साथ इग्ला-एस शॉल्डर फ़ायर्ड मिसाइल पर भी चर्चा हो सकती है.

आतंकवाद पर चर्चा भी महत्वपूर्ण विषय

बैठक के दौरान अफ़ग़ानिस्तान और उन 'हॉटस्पॉट्स' पर भी चर्चा केंद्रित हो सकती है, जहाँ हालात तनावपूर्ण हैं.


भारत की चिंता अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान से आतंकवाद के प्रसार को लेकर है जो भी चर्चा में रह सकती है. हालांकि यह अभी साफ़ नहीं है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ तनाव भी इस बैठक में चर्चा का बिंदु रहेगा या नहीं.


जून 2020 में गलवान घाटी में झड़प के बाद चीन-भारत तनाव को लेकर रूस ख़ासा चौंकन्ना है और एस-400 सिस्टम की डिलिवरी से यह उम्मीद जताई जा रही है कि यह क्षेत्र में भारत को रणनीतिक बैलेंस देगा.


राष्ट्रपति पुतिन का दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब रूस में कोविड-19 की स्थिति और ख़राब हो रही है और यूक्रेनी सीमा पर रूसी सेना की तैनाती हो रही है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का अहम भारत दौरा कल यानी 6 दिसंबर को हो रहा है. यह दौरा कुछ घंटों का ज़रूर है लेकिन इसे बहुत ख़ास माना जा रहा है.


अंग्रेज़ी अख़बार 'द हिंदू' अपनी रिपोर्ट में लिखता है कि भारत और रूस भारत-प्रशांत क्षेत्र और इसके कई आयाम पर अलग-अलग नज़र आते हैं, इस बैठक के दौरान इस मुद्दे पर भी नज़र रहेगी.


राष्ट्रपति पुतिन सोमवार की शाम नई दिल्ली पहुंच रहे हैं और वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने के बाद वो लौट जाएंगे.

इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में द्विपक्षीय संबंध केंद्र में रहेंगे, जिनमें एस-400 मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम की डिलिवरी और कई रक्षा सौदों पर चर्चा हो सकती है.

'हिन्द-प्रशांत' की रणनीति की रूस करता रहा है आलोचना

रूस भारत के अमेरिका के साथ क़रीबी रिश्तों पर भी नज़रें गड़ाए हुए है. वो भारत, अमेरिका ऑस्ट्रेलिया और जापान के 'क्वॉड' गठजोड़ की भी आलोचना कर चुका है.

'हिंद-प्रशांत' के इस विचार पर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ ने 26 नवंबर को रूस-भारत-चीन (RIC) की बैठक में टिप्पणी की थी और इसे असमान साझेदारी कहा था.

साथ ही उन्होंने कहा था कि वो 'एशिया-प्रशांत' के पक्ष में हैं.

पुतिन से पहले लावरोफ़ और रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू रविवार को भारत पहुँच रहे हैं और वो अपने समकक्ष एस. जयशंकर और राजनाथ सिंह के साथ '2+2' बैठक में भागीदारी करेंगे.

भारत को रूस से मिलने वाले S-400 सिस्टम की क्यों है इतनी चर्चा

चीन की हाइपरसोनिक मिसाइलों से अमेरिका को क्यों है परेशानी?

अख़बार सूत्रों के हवाले से लिखता है भारत ऐसा मानता है कि एशिया-प्रशांत और हिंद-प्रशांत ढांचें केवल 'मुद्दे आधारित सहयोग' के लिए हैं.


सूत्रों का कहना है कि मॉस्को भारत के समुद्र चैनल खोलने की 'समावेशी' मांग के पक्ष में है, जिसके ज़रिए चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री कॉरिडोर को लाभ होगा. इसका लक्ष्य भारत को रूस के सुदूर पूर्व इलाक़े से जोड़ना है.


आने वाले महीनों में इस क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियों में साझेदारी में भी बढ़ोतरी मिलने की उम्मीद है क्योंकि जनवरी महीने में वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन में रूस के 11 गवर्नर भाग लेने आ रहे हैं.


एस-400 मिसाइल सौदे पर रहेगी नज़र

सोमवार के दौरे के दौरान एस-400 मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम की डिलिवरी पर हर किसी की नज़रें रहेंगी, जिसके कारण भारत पर अमेरिका के प्रतिबंधों का ख़तरा मंडरा रहा है.


हालांकि, भारत ने साफ़ कर दिया है कि उसकी रक्षा ख़रीद की नीति 'रणनीतिक स्वायतत्ता' से निर्देशित होती है जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों को तरजीह देती है.


दोनों पक्ष सोमवार को कई रक्षा सौदों को अंतिम रूप दे सकते हैं और इसको 'रूस का दिन' बताया जा रहा है. एके-203 असॉल्ट राइफ़लों के बनाने पर सौदा भी इस दिन की चर्चा का मुख्य आकर्षण रहने वाला है.


दोनों पक्ष रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ़ लॉजिस्टिक्स एग्रीमेंट (RELOS) भी कर सकते हैं, रूस ऐसा सातवां देश होगा जिसका भारत के साथ यह सौदा होगा. एक अन्य महत्वपूर्ण समझौता 10 साल के लिए रक्षा सहयोग जारी रखने पर हो सकता है. इसके साथ-साथ इग्ला-एस शॉल्डर फ़ायर्ड मिसाइल पर भी चर्चा हो सकती है.


'दिल्ली डायलॉग' के बाद अफ़ग़ानिस्तान पर रूस के अलग बयान के मायने

आतंकवाद पर चर्चा भी महत्वपूर्ण विषय

बैठक के दौरान अफ़ग़ानिस्तान और उन 'हॉटस्पॉट्स' पर भी चर्चा केंद्रित हो सकती है, जहाँ हालात तनावपूर्ण हैं.


भारत की चिंता अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान से आतंकवाद के प्रसार को लेकर है जो भी चर्चा में रह सकती है. हालांकि यह अभी साफ़ नहीं है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ तनाव भी इस बैठक में चर्चा का बिंदु रहेगा या नहीं.


जून 2020 में गलवान घाटी में झड़प के बाद चीन-भारत तनाव को लेकर रूस ख़ासा चौंकन्ना है और एस-400 सिस्टम की डिलिवरी से यह उम्मीद जताई जा रही है कि यह क्षेत्र में भारत को रणनीतिक बैलेंस देगा.


राष्ट्रपति पुतिन का दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब रूस में कोविड-19 की स्थिति और ख़राब हो रही है और यूक्रेनी सीमा पर रूसी सेना की तैनाती हो रही है.

जयशंकर ने अबू धाबी में किया चीन का ज़िक्र

अबू धाबी में दो दिवसीय हिंद महासागर कॉन्फ्रेंस 2021 में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन का ज़िक्र किया है.


'दैनिक जागरण' की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस कॉन्फ्रेंस में विदेश मंत्री ने चीन की बढ़ती क्षमताओं की चर्चा की और कहा कि इसके गंभीर परिणाम हैं.


उन्होंने कहा, "कोरोना के कारण हम थोड़े अंतराल के बाद मिल रहे हैं. उस समय के दौरान कई ऐसे विकास हुए हैं जिनका हिंद महासागर क्षेत्र पर सीधा और अच्छा प्रभाव पड़ा है."

"दो वजहों से हाल के दशकों में हिंद महासागर की स्थिति बदली है. पहली वजह क्षेत्र में अमेरिका का रणनीतिक दख़ल बढ़ा है, दूसरी वजह चीन का उत्थान है. 2008 में हम अमेरिका के बढ़ते असर के खतरों के गवाह थे. तब उन ख़तरों को कम करने की कोशिश कर रहे थे. हालांकि अमेरिका ने अपनी और दुनिया की स्थितियों को समझा और खुद को संतुलित किया."

"इसी के बाद दुनिया में बहुध्रुवीय व्यवस्था की शुरुआत हुई. दूसरा बड़ा बदलाव चीन के उभरने से आया. उसने असामान्य ढंग से अपनी ताकत बढ़ानी शुरू की और वैश्विक स्तर पर असर बढ़ाना शुरू किया. सैन्य ताकत के मामले में सोवियत संघ महाशक्ति था लेकिन आर्थिक शक्ति के रूप में वह उस स्थिति में कभी नहीं पहुंचा जहां पर आज चीन है."

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