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भारत-पाकिस्तान, फ़िलिस्तीन-इज़्रेल : कौशलेंद्र

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कलम से :  एक अतिबुद्धिमान इण्डियन ने अपने यू-ट्यूब चैनल पर फ़रमाया कि फ़िलिस्तीन और इज़्रेल के बीच वही रिश्ता है जो भारत और पाकिस्तान के बीच है...

कलम से : एक अतिबुद्धिमान इण्डियन ने अपने यू-ट्यूब चैनल पर फ़रमाया कि फ़िलिस्तीन और इज़्रेल के बीच वही रिश्ता है जो भारत और पाकिस्तान के बीच है । इसलिये भारत को फ़िलिस्तीन का समर्थन करना चाहिये । अतिबुद्धिमान जी मानते हैं कि जिस तरह भारत के एक हिस्से से पाकिस्तान का जन्म हुआ उसी तरह फ़िलिस्तीन के एक हिस्से से इज़्रेल का जन्म हुआ है, अर्थात पाकिस्तान और इज़्रेल दो ऐसे नवनिर्मित देश हैं जो अपने मूल देश से विद्रोह के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुये हैं।



  अतिबुद्धिमान इण्डियन्स यह कभी नहीं बताते कि फ़िलिस्तीन कभी कोई देश था ही नहीं बल्कि प्राचीन सीरिया का एक जिला हुआ करता था जिसके एक ओर फ़ीनीसिया था और दूसरी ओर था इज़िप्ट । वास्तव में मेसापोटामिया के इस क्षेत्र का प्राचीन नाम कनान (Canaan) हुआ करता था जिसमें फ़िलिस्तीन और इज़्रेल दोनों ही हुआ करते थे । फ़िलिस्तीन शब्द का प्रयोग हेरोडॉट्स द्वारा पाँचवी शताब्दी में पहली बार किया गया था । ईसापूर्व 930 में इज़्रेल से एक हिस्सा अलग होकर ज़ूडाह बन कर अस्तित्व में आया । कनान यानी प्राचीन सीरिया, जिसमें फ़िलिस्तीन और इज़्रेल दोनों ही थे, में यहूदी, ईसाई और इस्लाम धर्म के प्रवेश से पूर्व कनानाइट और पैगानिज़्म धर्म अस्तित्व में हुआ करते थे । मूल फ़ीनीसियन्स के ही कुछ अनुयायी यहूदी बने, जो ईसाई धर्म के आगमन पर ईसाई बन गये और बाद में उन्हीं में से कुछ लोग इस्लाम के आने पर मुसलमान हो गये । अर्थात कनान देश के यहूदी, ईसाई और मुस्लिम तीनों ही मूलतः फ़ीनीसियन्स ही हैं जो समय-समय पर नये धर्मों में प्रवृत्त होते रहे और अपना नया समूह बनाते रहे । हर नये धर्म के आगमन के साथ क्षेत्रीय लोगों के बीच आपस में ही धार्मिक उत्पीड़न और युद्ध होते रहे । नये धर्मों के सामने प्राचीन धर्मों के अस्तित्व को बचाना स्थानीय लोगों के लिये बहुत बड़ी चुनौती थी, आज भी है । जब कनान के यहूदियों का उत्पीड़न हुआ तो पहले तो उन्होंने योरोपीय देशों में शरण ली किंतु बाद में जब वहाँ भी उनका उत्पीड़न शुरू हुआ तो उन्होंने अपने मूल देश को नये धर्मों के चंगुल से स्वतंत्र कराने का संकल्प किया । यह उसी तरह है जैसे लाहौर से पलायन कर गये सिख वापस लाहौर जाकर उसे अपने लिये एक स्वतंत्र देश घोषित कर दें, यूँ उनका अधिकार उस पूरे भूभाग पर है जिसे पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान के नाम से पृथक कर दिया गया । उसी तरह यहूदियों का अधिकार उस पूरे भूभाग पर है जिसे फ़िलिस्तीन के नाम से कनान से सदियों पूर्व पृथक कर दिया गया था । 

यहूदियों के पलायन के बाद कनान का अस्तित्व समाप्त हो चुका था और वहाँ कई छोटे-छोटे देश बन गये थे, कुछ ईसाई बहुल तो कुछ इस्लाम बहुल । दुनिया भर में बिखरे यहूदियों ने कनान स्थित यहूदी बहुल इज़्रेल का रुख किया और 14 मई 1948 को कनान के एक बहुत छोटे से हिस्से को यहूदियों के लिये स्वतंत्र देश घोषित कर दिया । जिसके बाद पाँच अरब शक्तियों ने मिलकर इज़्रेल पर आक्रमण कर दिया । छह दिन चले इस युद्ध में एक ओर था इज़्रेल और दूसरी ओर थे इज़िप्ट, लेबनान, ट्रांस ज़ॉर्डन, ईराक़ और सीरिया । 

यह लड़ाई फ़िलिस्तीन और इज़्रेल की है ही नहीं । यह तो उन यहूदियों के धार्मिक अस्तित्व का युद्ध है, जो कभी फ़िलिस्तीन के मूल वाशिंदे हुआ करते थे और जिनका एक हिस्सा मुसलमान हो गया था । यह लड़ाई भारत और पाकिस्तान के बीच की है ही नहीं । यह तो उन सनातनियों के धार्मिक अस्तित्व का युद्ध है, जो कभी अखण्ड भारत के मूल वाशिंदे हुआ करते थे और जिनका एक बड़ा हिस्सा मुसलमान हो गया था । हम फ़िलिस्तीन की तुलना पूर्वी बंगाल, सिंध, पश्चिमी पञ्जाब, और कश्मीर से तो कर सकते हैं जहाँ धर्मांतरण करके सनातनियों को मुसलमान बना दिया गया किंतु भारत से कैसे कर सकते हैं ! फ़िलिस्तीन और इज़्रेल दोनों ही देशों के मूल वाशिंदे यहूदे थे, और उससे भी पहले कनानाइट थे । अखण्ड भारत के मूल वाशिंदे सनातनी हिन्दू थे, जिनमें से कई लोगों ने धर्मांतरण के बाद विदेशी मुसलमानों के साथ मिलकर पूर्वी बंगाल, सिंध, पश्चिमी पञ्जाब, और कश्मीर जैसे भारत के कई क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया । 

आज यहूदियों ने अपने मूल भूभाग का एक बहुत छोटा सा हिस्सा वापस ले लिया है किंतु हम सनातनी हिन्दू अपने मूल भूभाग के बहुत बड़े-बड़े हिस्से निरंतर गँवाते जा रहे हैं ।

कौशलेंद्र

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