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चित्रकोट महोत्सव में श्रुति के कथक नृत्य को मिली सराहना और सम्मान

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जगदलपुर :  श्रुति की बचपन से नृत्य में रूचि है और अनेकों स्थानीय, राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय मंचों में बेहतरिन प्रस्तुतियों हेतु सम्मानित की ...

जगदलपुर : श्रुति की बचपन से नृत्य में रूचि है और अनेकों स्थानीय, राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय मंचों में बेहतरिन प्रस्तुतियों हेतु सम्मानित की जा चुकी हैं।
चित्रकोट महोत्सव में भी अपनी मोहक प्रस्तुति से अतिथियों एवम् दर्शकों का दिल जीत लिया।
इस हेतु श्रुति को सम्मानित किया गया।


परिचय
नाम:-कु.श्रुति सरोज
पिता:- श्री रोहित सरोज
माता :- श्रीमती पूर्णिमा सरोज
शिक्षा:-10वीं में अध्ययनरत कथक नृत्यभूषण चतुर्थ वर्ष।


उपलब्धि:-
1. 3 वर्ष की आयु से विभिन्न मंचों में उत्कृष्ट प्रस्तुतियाँ देती आ रही हैं।
2. दूरदर्शन के कार्यक्रम दण्डकारण्य की शान में बेहतरीन प्रस्तुति।
3. बस्तर लोकोत्सव,, चित्रकोट महोत्सव, सहित जिला एवं राज्यस्तरीय सांस्कृतिक एवं साहित्यिक मंचो में बेहतरीन प्रदर्शन हेतु सम्मानित।
4. 2020 में लाला जगदलपुरी की जन्मशताब्दी समारोह में लाला जी द्वारा लिखित गीतों पर कथक नृत्य की प्रस्तुति हेतु सम्मानित।
5. नृत्यभूषण की परीक्षाओं में मेरिट में स्थान प्राप्त किया।
श्रुति सरोज की प्रस्तुति
आज श्रुति सरोज शिव स्तुति के साथ धमार ताल में कथक नृत्य की प्रस्तुति देंगी।
धमार ताल भारतीय संगीत का एक प्रमुख ताल है। 
धमार ताल में 14 मात्रा होती हैं। इसके बोल 4 विभाग के अंतर्गत रहते हैं । पहली , छटी , व ग्यारवी मात्रा पर ताली लगती है । आठवी मात्रा पर खाली रेहता है ।
कथक नृत्य उत्तर भारतीय शास्त्रीय नृत्य है। कथा कहे सो कथक कहलाए। कथक शब्द का अर्थ कथा को नृत्य रूप से कथन करना है। प्राचीन काल मे कथक को कुशिलव के नाम से जाना जाता था।

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