• शपथ की शुभ बेला: प्रधानमंत्री मोदी का राजघाट पर श्रद्धांजलि समर्पण • कैबिनेट की नई कड़ी: अनुभवी और नए चेहरों का समावेश • राजनीतिक परिदृश्य...
• शपथ की शुभ बेला: प्रधानमंत्री मोदी का राजघाट पर श्रद्धांजलि समर्पण
• कैबिनेट की नई कड़ी: अनुभवी और नए चेहरों का समावेश
• राजनीतिक परिदृश्य: एनसीपी की नाराजगी और भाजपा की चुनौतियाँ
• अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत: विश्व नेताओं की उपस्थिति और भारतीय राजनीति
• उत्तर प्रदेश की राजनीतिक चाल: भाजपा के ड्रीम प्रोजेक्ट पर प्रहार
• ओडिशा की ओर से एक विदाई: वीके पांडियन का संन्यास और बीजेडी की हार
नई दिल्ली : भारतीय राजनीति के एक नए अध्याय का आरंभ होते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राजघाट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की और अटल बिहारी वाजपेयी को भी नमन किया। इस ऐतिहासिक दिन पर, मोदी कैबिनेट 3.0 के शपथग्रहण समारोह में 52 से 63 मंत्रियों के शपथ लेने की संभावना है, जिसमें अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हैं। इसके साथ ही, शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया और अर्जुन राम मेघवाल जैसे नए चेहरे भी मंत्रीपद की शपथ लेंगे।
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शपथग्रहण से पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने संभावित कैबिनेट सदस्यों से मुलाकात की और आगामी 100 दिनों के लिए एक विस्तृत रोडमैप पर चर्चा की। उन्होंने पेंडिंग योजनाओं को पूरा करने के निर्देश भी दिए। इस शपथ समारोह में 7 देशों के लीडर्स भी शामिल होंगे, जिसमें मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय है। मेहमानों की सुरक्षा के लिए 2500 सुरक्षा जवानों को तैनात किया गया है।
विजय मुहूर्त में शपथ लेने के लिए प्रसिद्ध ज्योतिषी द्वारा निर्धारित समय पर, प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी नई कैबिनेट के साथ देश की सेवा का संकल्प लिया। हालांकि, इस शपथग्रहण से पहले ही एनसीपी से किसी भी मंत्री का न होना और अजित पवार की नाराजगी जैसे राजनीतिक उठापटक ने समारोह की गरिमा में थोड़ी खलल डाली है।
इस बीच, उत्तर प्रदेश में भाजपा को अपने ड्रीम प्रोजेक्ट पर भारी नुकसान उठाना पड़ा है, जहाँ पार्टी ने 17 में से 14 सीटें हारी हैं, जिसमें राम मंदिर के आसपास की 5 सीटें भी शामिल हैं। इसके अलावा, आरएसएस के हटने और भाजपा के वोट घटने की खबरें भी सामने आई हैं।
इस राजनीतिक परिवर्तन के बीच, ओडिशा के नवीन पटनायक के करीबी वीके पांडियन ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने का फैसला किया है, दरअसल उन्होंने कहा कि उनको टारगेट बनाया गया जिससे ओडिशा में बीजेडी को नुकसान हुआ। पांडेयन के इस कदम से बीजेडी को भारी नुकसान हुआ है।
इस तरह के राजनीतिक घटनाक्रम देश के भविष्य की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। नई सरकार के गठन के साथ ही देश की जनता की नजरें उनके आगामी कार्यों और नीतियों पर टिकी हुई हैं।
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