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सहकारी बैंक कर्मचारियों का विरोध: फेडरेशन ने विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर प्रतिनियुक्ति के प्रस्ताव पर रोक की मांग की

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रायपुर  : छत्तीसगढ़ को-ऑपरेटिव बैंक एम्पलाईज फेडरेशन ने हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह से मुलाकात की। इस बैठक में फेडरेशन ने प्रदे...

रायपुर : छत्तीसगढ़ को-ऑपरेटिव बैंक एम्पलाईज फेडरेशन ने हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह से मुलाकात की। इस बैठक में फेडरेशन ने प्रदेश के सहकारी बैंकों में सहकारिता विभाग के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति पर गंभीर चिंता जताते हुए इस प्रस्ताव को तुरंत रोकने की मांग की।



प्रस्ताव का विरोध :

फेडरेशन के प्रदेशाध्यक्ष चन्द्रप्रकाश व्यास और महासचिव राजेन्द्र शर्मा के नेतृत्व में इस प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में एक अपेक्स बैंक और 6 जिला सहकारी बैंक कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के दौरान द्विस्तरीय व्यवस्था को समाप्त कर त्रिस्तरीय व्यवस्था लागू की गई थी, जो कि सहकारिता के हित में नहीं है। फेडरेशन का मानना है कि सहकारी बैंकों में द्विस्तरीय व्यवस्था लागू किया जाना आवश्यक है।


सहकारी विभाग की प्रतिनियुक्ति का विरोध :

फेडरेशन ने सहकारी विभाग द्वारा सहकारी बैंकों में अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति के प्रयासों को "अवैधानिक और विधि-विरूद्ध" करार दिया है। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंक कर्मचारी सेवा नियमों में सहकारिता विभाग के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं है और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश भी इस दिशा में स्पष्ट हैं। फेडरेशन ने बताया कि सहकारी विभाग के अधिकारी सहकारी बैंकों में CEO के पद पर प्रतिनियुक्ति के लिए अपात्र हैं क्योंकि उनके पास बैंकिंग क्षेत्र का कोई अनुभव नहीं है।


सहकारी क्षेत्र की समस्याएं :

फेडरेशन ने सहकारी विभाग के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और अक्षमता का आरोप लगाया, जिससे सहकारी शक्कर कारखानों सहित अन्य सहकारी संस्थान घाटे में चल रहे हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि सहकारी शक्कर कारखाना कवर्धा, पंडरिया, अंबिकापुर और बालोद के कारण राज्य को लगभग 800 से 1000 करोड़ की हानि उठानी पड़ी है।

फेडरेशन ने विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि सहकारी विभाग के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति पर रोक लगाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। उन्होंने सहकारी आंदोलन को मजबूत करने और प्रदेश के किसानों के हित में सहयोग की अपील की।


इस मुलाकात और पत्र के माध्यम से फेडरेशन ने अपनी मांगों को स्पष्ट करते हुए सहकारी बैंकों के हितों की रक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया है।

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