रायपुर। प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों की एनआरआई स्पॉन्सर्ड कोटा सीट पर दाखिला लेने वाले 45 छात्रों को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। मं...
रायपुर। प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों की एनआरआई स्पॉन्सर्ड कोटा सीट पर दाखिला लेने वाले 45 छात्रों को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। मंगलवार को छात्रों की याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की।
इस दौरान बेंच ने आयुक्त चिकित्सा शिक्षा के 18 अक्टूबर के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें यह लिखा गया था कि अगर छात्र खुद को वास्तवित एनआरआई साबित नहीं कर पाते हैं, तो दाखिले निरस्त मान लिए जाएंगे। उधर, एनआरआई स्पॉन्सर्ड कोटा की शेष 10 सीटों पर जल्द काउंसिलिंग होगी। पूर्व में रजिस्टर्ड अभ्यर्थी इसमें शामिल होंगे।
दरअसल, आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा विभाग के 18 अक्टूबर के आदेश को चुनौती देते हुए छात्र अंतश तिवारी सहित 40 अन्य ने वकीलों के जरिए अलग-अलग याचिकाएं लगाई थीं। इसमें बताया कि छत्तीसगढ़ मेडिकल एजुकेशन प्रवेश नियम 2008 के तहत एनआरआई स्पॉन्सर्ड कोटे की सीटें तय की गई हैं। नियम 13(स) में एनआरआई छात्रों के लिए पात्रता निर्धारित की गई है।
इस नियम के आधार पर उन्हें प्रक्रिया पूरी करने के बाद दाखिले दिए गए। बताया कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एनआरआई कोटे के नियम में बदलाव किया है, जिसके तहत भाई-पुत्र और पहली पीढ़ी के रिश्तेदार ही दाखिले के लिए पात्र माने गए हैं। हाईकोर्ट ने दूसरी पीढ़ी के छात्रों को प्रवेश नहीं देने का आदेश दिया है।
लेकिन छत्तीसगढ़ चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पूर्व में तय नियम को बदले बिना ही उनके दाखिले निरस्त कर दिए। छात्रों ने इस आदेश को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि किसी दूसरे हाईकोर्ट का आदेश छत्तीसगढ़ में प्रभावी नहीं होगा। डिवीजन बेंच ने इस दलील को सही माना है। यानी 45 छात्रों के दाखिले बरकरार रहेंगे। उधर,जानकारी के मुताबिक अगले सत्र में विभाग एनआरआई कोटा को परिभाषित करेगा। इसके लिए कमेटी बनाई जाएगी।
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