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दुर्ग विवि के बाद अब बस्तर के एमए पाठ्यक्रम में पारकर का उपन्यास शामिल

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भिलाई। शासकीय हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग के बाद अब शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय बस्तर में भी आंचलिक साहित्यकार दुर्गा प्रसाद पारकर लिखित छत्तीसगढ़ी उपन्यास ‘बहू हाथ के पानी’ को विद्यार्थी पढ़ेंगे। इसके अलावा पारकर के रचनात्मक अवदान पर हाल ही में एक शोधार्थी ने अपनी पीएचडी पूरी की है।

पारकर ने बताया कि उन्हें शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय बस्तर की ओर से जानकारी भेजी गई है कि एम ए हिंदी के द्वितीय सेमेस्टर के पाठ्यक्रम ‘जनपदीय भाषा और छत्तीसगढ़ी साहित्य’ में इस साल दूसरे सेमेस्टर से उनका लिखा छत्तीसगढ़ी उपन्यास ‘बहू हाथ के पानी’ पढ़ाने के लिए शामिल किया गया है। इसी तरह दुर्ग विश्वविद्यालय में 8 वें सेमेस्टर में उनका यह उपन्यास शामिल किया गया है।

एक अन्य जानकारी में उन्होंने बताया कि कलिंगा विश्वविद्यालय कला एवं मानविकी विभाग ने गणेश राम कौशिक को उनके शोध कार्य पर पी.एच.डी. की उपाधि प्रदान की है। कौशिक ने अपना शोध प्रबंध डॉ. अजय शुक्ला के निर्देशन में पूर्ण किया एवं उनके शोध प्रबंध का विषय “छत्तीसगढी लोक साहित्य के सन्दर्भ में दुर्गा प्रसाद पारकर जी का रचनात्मक अवदान“ था। पीएचडी पूरी होने के बाद देवतरा तखतपुर निवासी गणेश राम कौशिक ने अपना शोध ग्रंथ दुर्गा प्रसाद पारकर को भेंट किया।

उल्लेखनीय है कि पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर में एम.ए. छत्तीसगढ़ी पाठ्यक्रम में हरिशंकर परसाई के हिन्दी व्यंग्य का पारकर द्वारा छत्तीसगढ़ी अनुवाद 'सुदामा के चाउर' व्यंग्य संग्रह शामिल किया गया है। पारकर के रचनात्मक योगदान पर हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग और अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर से भी पी.एच.डी. हो रही है। उन्होंने मुंशी प्रेमचंद के चर्चित उपन्यास 'प्रतिज्ञा' का छत्तीसगढ़ी अनुवाद किया है। वहीं उनकी रचनाओं में छत्तीसगढ़ी बाल कविता संग्रह 'गोरसी' और छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह. 'चकबंदी' प्रसिद्ध है।



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