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"अब कोई भी छात्र पैसे की कमी के कारण अपनी शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा।" : मनीष पारख

• प्रधानमंत्री विद्या लक्ष्मी योजना - छात्रों के लिए शिक्षा की नई राह : जगदलपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हाल ही में आयो...

प्रधानमंत्री विद्या लक्ष्मी योजना - छात्रों के लिए शिक्षा की नई राह :

जगदलपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हाल ही में आयोजित केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री विद्या लक्ष्मी योजना को मंजूरी दी गई है। इस ऐतिहासिक कदम का उद्देश्य देश के मेधावी विद्यार्थियों को वित्तीय सहायता प्रदान कर उच्च शिक्षा तक उनकी पहुंच को आसान बनाना है।


बस्तर के भाजपा नेता मनीष पारख ने इस योजना के अनुमोदन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इसे देश के छात्रों के लिए एक बड़ी सौगात बताया। उन्होंने कहा कि यह योजना प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में "सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास" के मूल मंत्र को साकार करती है।


योजना के प्रमुख लाभ :

ट्यूशन फीस और अन्य शैक्षिक खर्चों को कवर करने के लिए गारंटर मुक्त और ब्याज अनुदानयुक्त ऋण की सुविधा मिलेगी।

देश के 860 शीर्ष उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पाने वाले छात्रों को प्राथमिकता दी जाएगी।

हर साल 22 लाख से अधिक छात्र इस योजना से लाभान्वित होंगे।

7.5 लाख रुपये तक के ऋण पर सरकार द्वारा 75% क्रेडिट गारंटी दी जाएगी।

2024-25 से 2030-31 के दौरान 3,600 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है, जिससे 7 लाख नए छात्रों को लाभ मिलेगा।



एकीकृत पोर्टल से मिलेगा सरल समाधान :

इस योजना का सबसे बड़ा आकर्षण इसका "पीएम विद्यालक्ष्मी" पोर्टल है। छात्र इस पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर शिक्षा ऋण और ब्याज अनुदान के लिए अपनी जरूरतें पूरी कर सकेंगे। पारख ने कहा कि यह डिजिटल पहल योजना को अधिक पारदर्शी और सुगम बनाएगी।


बस्तर में शिक्षा के लिए नई उम्मीद :

मनीष पारख ने विश्वास जताया कि यह योजना देशभर में शिक्षा के क्षेत्र में समानता स्थापित करने और ग्रामीण इलाकों के छात्रों को भी उच्च शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराने में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और कैबिनेट के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया और छात्रों को इस योजना का अधिकतम लाभ उठाने का आह्वान किया।


इस योजना को विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इसके माध्यम से भारत शिक्षा के क्षेत्र में वैश्विक मानकों को प्राप्त करने और आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर होगा।








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