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संसद का शीतकालीन सत्र: उपचुनाव परिणामों के बाद गरमाई सियासत, हंगामे और विधेयकों पर सभी की निगाहें

नई दिल्ली: महाराष्ट्र और झारखंड समेत विभिन्न राज्यों के हालिया उपचुनाव परिणामों के बाद संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार को शुरू हुआ। सत्र की शु...

नई दिल्ली: महाराष्ट्र और झारखंड समेत विभिन्न राज्यों के हालिया उपचुनाव परिणामों के बाद संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार को शुरू हुआ। सत्र की शुरुआत दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई, लेकिन राजनीति के गर्म माहौल में जल्द ही हंगामे की स्थिति बन गई।

हंगामे से हुई सत्र की शुरुआत :

जैसे ही लोकसभा की कार्यवाही आगे बढ़ी, विपक्ष ने अदाणी समूह से जुड़े विवाद को लेकर जोरदार हंगामा किया। इस हंगामे के चलते लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। विपक्षी नेताओं ने अदाणी समूह पर लगाए गए आरोपों की जांच की मांग करते हुए सरकार को घेरने की कोशिश की।


सरकार बनाम विपक्ष: टकराव के एजेंडे 


सरकार इस सत्र में अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। वहीं, विपक्ष ने महंगाई, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा और किसानों के मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ आक्रामक रणनीति अपनाने का मन बनाया है। अदाणी समूह का मामला विपक्ष के मुख्य हथियार के रूप में उभर रहा है।


प्रधानमंत्री की चेतावनी और आह्वान :

सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया से बातचीत में विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "कुछ लोग संसद को बाधित करने का काम करते हैं। हमें विकास के मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए।" पीएम मोदी ने इस सत्र में विधायी कार्यों को प्राथमिकता देने का आह्वान किया।


महत्वपूर्ण विधेयकों पर सबकी नजर :

इस सत्र में सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने की तैयारी में है, जिनमें शामिल हैं:


डाटा प्रोटेक्शन बिल: डिजिटल प्राइवेसी को संरक्षित करने के लिए।

यूनिफॉर्म सिविल कोड: देश में समान नागरिक कानून की चर्चा।

डिजिटल इंडिया से जुड़े विधेयक: तकनीकी सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए।



हालांकि, इन विधेयकों पर विपक्षी दलों के विरोध के आसार हैं, जो सरकार और विपक्ष के बीच तनाव को और बढ़ा सकते हैं।


राजनीतिक रस्साकशी का केंद्र :

संसद का यह सत्र न केवल विधायी कार्यों के लिए बल्कि राजनीतिक गतिविधियों और रणनीतियों के लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उपचुनाव परिणामों के बाद से बदले समीकरणों ने इस सत्र को और दिलचस्प बना दिया है।


विश्लेषकों का मानना है कि यह सत्र न केवल देश की राजनीति की दिशा तय करेगा, बल्कि यह भी दिखाएगा कि सरकार और विपक्ष के बीच चल रही रस्साकशी का क्या परिणाम निकलता है।


क्या सरकार अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में सफल होगी, या विपक्ष अपने मुद्दों को लेकर दबाव बना पाएगा? इस पर सबकी नजरें टिकी हैं।


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