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पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा और युवा विधायक विकास उपाध्याय ने सत्तापक्ष को आइना दिखा, खोल दी कमियों को पोल

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रायपुर : नगर निगम की दो दिन तक चली सामान्य सभा में मच्छरों के बढ़ते प्रकोप, शहर में जोरों से चल रहे अवैध प्लाटिंग का मामला प्रमुखता से गरमाय...

रायपुर : नगर निगम की दो दिन तक चली सामान्य सभा में मच्छरों के बढ़ते प्रकोप, शहर में जोरों से चल रहे अवैध प्लाटिंग का मामला प्रमुखता से गरमाया। विपक्ष ने शहर सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी, वही रही सही कमी की पोल अपनों ने ही खोल दी। दरअसल सामान्य सभा में पहुंचे वरिष्ठ कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा और युवा विधायक विकास उपाध्याय ने सत्तापक्ष को आइना दिखा दिया।
स्वच्छता अवार्ड मिलने पर बधाई देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के सबसे साफ होने का डंका देशभर में बजा है, मगर इस बात से संतोष कर लेना ठीक नहीं। सफाई की व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है। स्ट्रीट लाइट बंद है, इससे अपराध बढ़ सकते है। यहां पर केवल भाषणबाजी में समय बर्बाद न करे। रायपुर को और अच्छा बनाने की दिशा में काम करे। अवैध प्लाटिंग हो रहा है तो इसका मतलब जनप्रतिनिधि जागरूक नहीं है। बहुत ही कम समय में विधायक द्वय ने सत्तापक्ष के साथ विपक्ष को भी सीख दी, जिसकी चर्चा हो रही है।

जवानों का फूल रहा दम
हेड कांस्टेबल से एएसआइ पदोन्नत होने के बाद चंदखुरी,पुलिस लाइन में पसीना बहा रहे वर्दीवालों की हालत खराब है।अलसुबह उठकर मैदान का चक्कर लगाने के साथ परेड आदि का दौर देर शाम तक चलने से थकान से चूर होकर बिस्तर पर गिर जा रहे है।सबसे अधिक तकलीफ 45 की उम्र पूरा कर चुके वर्दीवालों को रही है। मैदान में पसीना बहाने का यह क्रम एक महीने तक चलेगा।
अभी से दम फूलने लगा है। 20 साल बाद पदोन्नति मिलने से कांस्टेबलों में खुशी के साथ इसकी भी टीस है कि बैचमेंट के कई साथियों के कंधे पर सालों पहले सितारे लग चुके है। अब तो कई साथी एसआइ बनने की कतार में है। अच्छी खबर यह है कि आने वाले दिनों में सूबे की पुलिस को करीब चार हजार नए विवेचक मिल जाएंगे। इससे सालों से लंबित पड़े केसों की जांच में तेजी आएगी और पीड़ितों को जल्द न्याय मिल सकेगा।

फर्जीवाड़े में फंस गए व्याख्याता
रायपुर के एक शासकीय स्कूल में फर्जी कोरोना सर्टिफिकेट पेशकर छुट्टी लेने का मामला चर्चा में है।दरअसल अपनी पुरानी गलतियों को छिपाने के लिए एक व्याख्याता ने इस फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया है।बताते है कि जिला चिकित्सालय में हेमेटोलाजी जांच में एक भी कोरोना संक्रमित नहीं मिला था,वही एंटीजन जांच में पाए गए कोरोना पाजिटिव में औद्योगिक इलाके के हाईस्कूल का एक भी कर्मचारी नहीं पाया गया, जबकि उसी दिन का ही कोरोना पाजिटिव रिपोर्ट वहां के व्याख्याता ने स्कूल में जमा किया।
इतना ही नहीं तीन दिन के लिए स्कूल बंद कर सेनेटाइज़ भी कराया।यह व्याख्याता का किस्मत ही कहे कि मार्च में कोरोना संक्रमण बढ़ने पर अप्रैल में फिर से लाकडाउन लगाया गया, इसके चलते यह मामला दबा रह गया,लेकिन अब फिर से जांच रूपी जिन्न बाहर निकलने से व्याख्याता की धड़कने तेज हो गई है।

बिजली घोटाले में बड़ा गठजोड़

राज्य विद्युत वितरण कंपनी ने छह सालों के दौरान बिजली बिलों में बड़े पैमाने पर किए गए सात करोड़ के घोटाले को पकड़ा तो बड़ा गठजोड़ भी सामने आया। गड़बड़ियां सिर्फ बिजली बिलों में नहीं बल्कि घरेलू मीटर से लेकर ट्रांसफार्मर तक पकड़ी गई। मामला संज्ञान में आने पर विद्युत नियामक आयोग ने सालाना आडिट कराने के साथ 4.70 करोड़ रुपये की रिकवरी भी करवाई।

तीन जिलों बिलासपुर, राजनांदगांव और चांपा-जांजगीर में अधिक गड़बड़ियां मिलीं। मामला अब पुलिस के पास है। जांच में दोषी पाए गए छह सहायक अभियंता, पांच कनिष्ठ अभियंता, 15 कार्यालय सहायक और 13 अन्य कर्मचारियों को निलंबित किए जा चुके है। फिलहाल उनकी विभागीय जांच चल रही है,जबकि एक बैंक कर्मचारी और एक विभागीय कर्मचारी मुख्य आरोपित पाए गए हैं।

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