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बस्तर चैंबर ऑफ कॉमर्स सभागार में "जीवंत कलावंत एम ए रहीम" पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में शामिल हुए साहित्यकार

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जगदलपुर: एक मई को लाला जगदलपुरी स्मृति साहित्य एवं संस्कृति शोध संस्थान के द्वारा "जीवंत कलावंत एम ए रहीम" लेखक मदन आचार्य की ...

जगदलपुर: एक मई को लाला जगदलपुरी स्मृति साहित्य एवं संस्कृति शोध संस्थान के द्वारा "जीवंत कलावंत एम ए रहीम" लेखक मदन आचार्य की किताब का विमोचन समारोह बस्तर चेंबर ऑफ कॉमर्स के सभागार में संपन्न हुआ।



 "लाला जगदलपुरी स्मृति साहित्य एवं संस्कृति, शोध संस्थान "बस्तर जिला के साहित्य संस्कृति खेल ,शिक्षा ,पर्यावरण एवं अन्य कार्य में उल्लेखनीय स्थान बनाने वाले सुविख्यात लोगों को लेकर पुस्तकें प्रकाशित करने के लिए कटिबद्ध है। इस कड़ी में

  बस्तर के सृजन धर्मी प्रतिष्ठित रंगकर्मी निदेशक, अभिनेता आकाशवाणी ,दूरदर्शन कलाकार एम ए रहीम के सांस्कृतिक जीवन यात्रा को लेकर इस पुस्तक का लेखन साहित्यकार मदन आचार्य द्वारा किया गया है।



ज्ञातव्य हो कि इसके पूर्व सोनसिंह पुजारी और सुरेंद्र रावल जी पर किताबें आ चुकी हैं।

एम ए रहीम पर केंद्रित इस किताब के विमोचन समारोह में 

मंच पर प्रसिद्ध चित्रकार बंसी लाल विश्वकर्मा जी ,शिक्षाविद बी एल झा , प्रोफेसर विमल अवस्थी ख्याति नाम चित्रकार खेम वैष्णव, रंग कर्मी एम ए रहीम और समाजसेवी सुकुमार ठाकुर आसीन थे।


कार्यक्रम के आरंभ में संस्था के सचिव विक्रम सोनी ने संस्था के उद्देश्य और उसके कार्य प्रणाली संक्षेप में जानकारी दी ।

 तत्पश्चात पुस्तक के लेखक और संस्था के अध्यक्ष मदन आचार्य ने एम ए रहीम के सांस्कृतिक यात्रा और पुस्तक की प्रासंगिकता को लेकर अपनी बात रखी।


मंचासीन रहीम जी के बाल सखा प्रोफेसर विमल अवस्थी ने अपने 64 साल की दोस्ती, स्कूली जीवन और आज तक के सखा भाव को बड़ी रोचकता के साथ प्रस्तुत किया।

 प्रोफेसर अली ने जीवंत कलावंत एम ए रहीम की पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रहीम भाई बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं और उनके जीवन की, उनके सांस्कृतिक यात्रा की कुछ घटनाओं को लेकर लेखक मदन आचार्य ने लिखा तो अच्छा है पर अभी भी उन पर बहुत कुछ लिखने की संभावना बनी हुई है।


वक्ताओं की कड़ी में प्रोफेसर योगेंद्र मोतीवाला ने रेडियो, रंगमंच और नाटक की दुनिया में उनके योगदान को विस्तार से याद किया और एक जीवन चरित्र लिखने की कला के लिए मदन आचार्य की लेखनी की सराहना की।

 

प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष जगदीश चंद्र दास ने रहीम भाई को अपना आदर्श माना और मदन आचार्य कि लेखनी की सराहना करते हुए रहीम भाई का टेली फ़िल्मों में योगदान और दूरदर्शन में उनके कार्य को लेकर बहुत सी यादें बताते हुए गुलशेर खां शानी जी के संदर्भ में भी रहीम भाई का उल्लेख किया।


नगर के प्रसिद्ध रंगकर्मी जी एस मनमोहन ने अपने उद्बोधन में थिएटर से जुड़े रहीम भाई के योगदान को विस्तार से उल्लेखित करते हुए कहा कि - रहीम भाई की परंपरा को ही आज हम रंगकर्मी आगे बढ़ा रहे हैं। डायलॉग डिलीवरी शब्दों का चयन, उच्चारण ,भाव भंगिमा अदाकारी हमने उनसे सीखा। जी एस मनमोहन ने इस कार्यक्रम के लिए तैयार 

निमंत्रण कार्ड की गरिमा की भी सराहना की ।

कोंडा गांव से पधारे चित्रकार खेम वैष्णव ने संस्था और रहीम भाई के सांस्कृतिक यात्रा को संक्षेप में उल्लेखित किया।

शिक्षाविद बी एल झा ने रहीम भाई के परिवार के साथ अपनी अंतरंगता को साझा करते हुए अपने समय की रंग मंच की यादें ताजा करने लगे।

 चित्रकार बंसी लाल विश्वकर्मा ने एम ए रहीम के साथ अपने पुराने दिनों को याद करते हुए इस पुस्तक के विमोचन में अपनी उपस्थिति को महत्वपूर्ण माना ।


इस पुस्तक के केन्द्र बिन्दु

एम ए रहीम ने अपनी सांस्कृतिक यात्रा , रंग कर्म की दुनिया और किशोर वय में खेले गए अपने नाटकों को शिद्दत से महसूस करते हुए कहा कि " मैं आप सबके स्नेह से अभिभूत हैं । थिएटर से जुड़े लोग और उनके किरदार , उन्हें निभाने वाले साथी सबको याद करते हुए उन्होंने सबको शुभकामनाएं देते हुए संस्था के प्रति आभार प्रकट किया और आशा प्रकट की कि यह शोध संस्थान आगामी समय में भी बस्तर जिला के महत्वपूर्ण साथियों को लेकर किताबें प्रस्तुत करेंगी।

  लेखक मदन आचार्य का आभार मानते हुए उन्होंने कहा कि कई बैठकों के बाद इस किताब को तैयार करने में मदन की मेहनत की वे सराहना करते हैं। साथ ही उन्होंने पुस्तक के कलेवर तैयार करने में मोहित आचार्य की भी तारीफ की।

 समाजसेवी सुकुमार ठाकुर ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में संस्था का आभार मानते हुए एम ए रहीम के साथ अपनी 

 दोस्ती और नाटकों के प्रति उनके समर्पण को बड़ी गहराई से याद किया।


कार्यक्रम के अंत में संस्था की उपाध्यक्षा डॉ सुषमा झा ने इस सभागार में उपस्थित सबका आभार माना।

कार्यक्रम का संचालन सचिव विक्रम सोनी ने किया

बस्तर चेंबर सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में नगर और नगर से बाहर के भी प्रतिष्ठित और स्थापित लोग उपस्थित थे जिनमें से

ब्रिजेन्द्र भदोरिया, मोहिनी ठाकुर रीमा दीवान चड्ढा,खुदेजा खान, बी एन आर नायडू , हिमांशु शेखर झा , विजय सिंह,सरिता सिंह,,दशरथ कश्यप ,सुभाष पांडे धर्म चंद शर्मा, बिपिन बिहारी दास, किशोर पारख, नरेंद्र पांडे, विश्वनाथ, किशोरी सिंह ठाकुर , सुनील श्रीवास्तव ,प्रकाश जोशी अवध किशोर शर्मा, भरत गंगा दित्य ,पूर्णिमा सरोज ,निर्मल सिंह राजपूत, रमेश श्रीवास्तव, फ्रांसिस वेसली, नबी मोहम्मद, मदन पारख ,सुभाष श्रीवास्तव, गायत्री आचार्य, भंवर बोथरा, प्रकाश दीप्ति ,विवेक श्रीवास्तव, अनिल शुक्ला ,जोगेश्वरी आचार्य, उर्मिला आचार्य ,मोहित पार्थ वीरेंद्र महापात्र एवं अन्य।


यह कार्य क्रम संस्था के संस्थापक स्व हरिहर वैष्णव जी‌को समर्पित रहा।

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