जगदलपुर : राष्ट्रीय कवि संगम बस्तर जिला इकाई की मासिक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें शहर के साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। ...
जगदलपुर : राष्ट्रीय कवि संगम बस्तर जिला इकाई की मासिक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें शहर के साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया।
इस अवसर पर काव्य पाठ करते हुए कवि अनिल शुक्ला ने बस्तर पर आधारित रचना पढ़ी-
"है बस्तर कितना ख़ूबसूरत, तुम्हें अभी तक पता नहीं है।
बस्तर दर्शन कराने वाला, तुम्हें अभी तक मिला नहीं है।।"
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कृष्ण शरण पटेल ने ग़ज़ल का पाठ किया-
"दर्द दिल में रहा,न अब सर में।।
नींद आए नसीब बिस्तर में।।"
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भरत गंगादित्य ने नारी जागरण पर गीत की प्रस्तुति दी-
"हिन्द की हम नारियां, क्रांति की चिंगारियां।
प्रगति पथ पर चल रही हैं,दूर कर दुश्वारियां।।"
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अवध किशोर शर्मा ने गीत सुनाया-
"घर के आगे झुका बरगद बहुत ही याद आया।
पांव में कांटे चुभे,तब घर बहुत ही याद आया।।"
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एस.एस.त्रिपाठी ने कविता प्रस्तुत की-
"उधार सत्य के सहारे, ढूंढते हो अपने सत्य को।"
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नरेन्द्र यादव ने छत्तीसगढ़ी कविता का पाठ किया-
"दिखथे बड़े बड़े घर दुवारी।
गरीब के कइसे होही चिन्हारी।।"
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सुरेश विश्वकर्मा'चितेरा'ने कविता पढ़ी-
"कौन यहां किसका है।
आशंकित रिश्ता है।।"
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पूर्णिमा सरोज ने बसंत पर अपनी कविता सुनाई-
"सुरमय हुए जीवन के तार,
ऋतु बसंत आ गया,
आओ मंगलगान करें।"
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चमेली नेताम ने कविता सुनाई-
"बेबसी में स्वयं पर भरोसा मुझे,
अब दिलाने लगी जिंदगी आजकल।"
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शशांक श्रीधर शेंडे ने मां पर कविता सुनाई-
"जी चाहता है उड़कर मां की गोद में समा जाऊं ,
मैं फिर से बच्चा बन जाऊं।"
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विमल तिवारी ने हास्य पैरोडी "जब ले मरे हंव" सुना कर सभी को हंसने पर मजबूर कर दिया। शिरीष टिकरिहा ने अपनी व्यंग्य कविता सुनाई।नवोदित कवि सुद्धू राम कश्यप ने भतरी में काव्य पाठ किय। काव्य गोष्ठी में वसंत चव्हाण ने हेमंत शीर्षक पर काव्य पाठ किया। काव्य गोष्ठी में नन्हीं बच्ची मानवी के द्वारा पाठ किए गए हिंदी की कविताओं ने सबका मन मोह लिया।काव्य गोष्ठी में जय श्री शेंडे,किरण विश्वकर्मा, राहुल विश्वकर्मा, अंजना विश्वकर्मा और अन्य श्रोताओं की उपस्थिति रही।काव्य गोष्ठी का संचालन विमल तिवारी ने किया।





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