• झीरम कांड: अनसुलझे रहस्य और स्मृतियों का संगम • झीरम घाटी: एक दर्दनाक अध्याय की यादें • कांग्रेस की श्रद्धांजलि: शहीदों को समर्पित किया आज...
• झीरम कांड: अनसुलझे रहस्य और स्मृतियों का संगम
• झीरम घाटी: एक दर्दनाक अध्याय की यादें
• कांग्रेस की श्रद्धांजलि: शहीदों को समर्पित किया आज का दिन
झीरम कांड में शहीद कांग्रेसियों को श्रद्धासुमन अर्पित करते कांग्रेसी नेता |
जगदलपुर (वेदांत @The Gazette): छत्तीसगढ़ के झीरम में कांग्रेसियों ने अपने वीर शहीदों को समर्पित किया। इस दिन, झीरम शहीद स्मारक लालबाग में कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने शहीद नंदकुमार पटेल, शहीद महेंद्र कर्मा, शहीद उदय मुदलियार, और अन्य कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं को समर्पित किया।
इस अवसर पर, श्रद्धांजलि और समर्पण के साथ-साथ, पूर्व कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा, पूर्व क्रेडा अध्यक्ष मिथिलेश स्वर्णकार, पूर्व विधायक राजमन बेंजाम, रेखचंद जैन और इंदिरा विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष राजीव शर्मा ने भी भाग लिया। कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी जतीन जयसवाल सहित कांग्रेस पार्टी के अनुषंगिक संगठन, महिला कांग्रेस, युवा कांग्रेस, सेवा दल, और विभिन्न प्रकोष्ठों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।
25 मई 2013: छत्तीसगढ़ के इतिहास का कभी न भूलने वाला दिन
छत्तीसगढ़ के इतिहास में 25 मई 2013 का दिन हमेशा काले दिन के रूप में याद किया जाएगा। यह दिन कांग्रेस और देश के लिए बेहद दुखद और कष्टप्रद साबित हुआ। नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के झीरम घाटी में 25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ ने सबसे भयावह नक्सली हमलों में से एक का सामना किया था।
झीरम घाटी की 11वीं बरसी: दुख और शोक का दिन
आज छत्तीसगढ़ के सबसे खौफनाक नक्सली हमले की 11वीं बरसी है, जिसमें कई कांग्रेस नेताओं सहित 32 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। यह घटना छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए आज भी एक दुखदायी स्मृति है।
झीरम घाटी का खूनी खेल: एक दर्दनाक घटना की याद
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले का झीरम घाटी वह स्थान है, जिसे याद करते ही 2013 की वह दर्दनाक घटना ताजा हो जाती है। 25 मई के दिन नक्सलियों ने झीरम घाटी में एक भीषण हमला किया था, जिसमें तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा समेत 32 से अधिक लोग मारे गए थे।
झीरम कांड: एक कभी न भरने वाला घाव
झीरम घाटी की घटना छत्तीसगढ़ के लिए एक कभी न भरने वाले घाव की तरह है। 11 साल बीत जाने के बाद भी इस हत्याकांड का रहस्य अनसुलझा है। कांग्रेस ने पिछले साल से इस दिन को झीरम घाटी शहादत दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की है। इस हत्याकांड के कई रहस्य अब तक अनसुलझे हैं और यह नहीं पता कि कब तक झीरम
कांड का रहस्य उजागर होगा।
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