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जैन मुनि श्री विराग जी के 121 उपवास तपस्या की गूंज: विश्वभर में होगी 1 करोड़ 21 लाख नवकार महामंत्र का जाप

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रायपुर  : छत्तीसगढ़ की पावन धरा पर जैन मुनि श्री विराग जी द्वारा 121 दिनों की उपवास तपस्या की अनुमोदना का ऐतिहासिक अवसर आ गया है। आज मुनि श्...

रायपुर : छत्तीसगढ़ की पावन धरा पर जैन मुनि श्री विराग जी द्वारा 121 दिनों की उपवास तपस्या की अनुमोदना का ऐतिहासिक अवसर आ गया है। आज मुनि श्री का 121वां उपवास पूर्ण हुआ है, जो एक असाधारण और अद्वितीय तपस्या है। इस अवधि के दौरान, श्री विराग मुनि जी ने किसी भी प्रकार की खाद्य सामग्री का सेवन नहीं किया, केवल दिनभर में थोड़ा गर्म पानी ग्रहण करते हुए उन्होंने यह तपस्या पूर्ण की है।



श्री सीमंधर स्वामी जैन मंदिर और दादाबाड़ी ट्रस्ट के अध्यक्ष संतोष बैद और महासचिव महेन्द्र कोचर ने बताया कि श्री विराग मुनि जी ने इस दौरान सैकड़ों किलोमीटर की पदयात्रा की और अपने दैनिक धार्मिक क्रियाकलाप, जैसे प्रवचन, प्रतिक्रमण, और अन्य मुनिभगवंतों के लिए गोचरी लाना, सामान्य रूप से जारी रखे। श्री विराग मुनि जी के इस तपस्या की अनुमोदना में श्री सीमंधर स्वामी जैन मंदिर और चमत्कारी श्री जिनकुशल सूरि जैन दादाबाड़ी, भैरव सोसायटी श्री संघ ने विनम्रतापूर्वक मुनि श्री से पारणा करने की प्रार्थना की है।


इस महान तपस्या की अनुमोदना में सोमवार, 15 जुलाई को पूरे विश्व के जैन समुदाय से 1 करोड़ 21 लाख नवकार महामंत्र के जाप का आयोजन किया जाएगा। यह जाप पद्मासन मुद्रा में किया जाएगा, जिससे कर्मों की निर्जरा होगी। महेन्द्र कोचर ने कहा कि तप की अनुमोदना मात्र से ही कर्मों की निर्जरा होती है, और इस जाप के माध्यम से सभी जैन भाई-बहन अपने कर्मों की निर्जरा कर सकते हैं।


सोशल मीडिया के माध्यम से इस तपस्या की गूंज भारत सहित पूरे विश्व में सुनाई दे रही है। श्री विराग मुनि जी की इस अद्वितीय तपस्या की अनुमोदना में सकल जैन समाज का आव्हान है कि वे पद्मासन मुद्रा में नवकार महामंत्र का जाप करें और अपनी व समूह की फोटोज व वीडियो संतोष बैद (9827151109) और महेन्द्र कोचर (9827156004) को व्हाट्सएप करें।


इस ऐतिहासिक तपस्या की अनुमोदना में शामिल होकर, जैन समाज के लोग न केवल अपने कर्मों की निर्जरा करेंगे बल्कि इस महान तपस्वी के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान भी प्रकट करेंगे। श्री विराग मुनि जी के इस अद्वितीय तपस्या ने न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे जैन समुदाय को गर्व से भर दिया है।

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