जगदलपुर: छत्तीसगढ़ में हाफ बिजली बिल योजना को बंद करने के राज्य सरकार के फैसले ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। कांग्रेस पार्टी ने इस फैसले क...
जगदलपुर: छत्तीसगढ़ में हाफ बिजली बिल योजना को बंद करने के राज्य सरकार के फैसले ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। कांग्रेस पार्टी ने इस फैसले का तीखा विरोध करते हुए इसे आम जनता के साथ अन्याय करार दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने इसे जनविरोधी कदम बताते हुए भाजपा सरकार से इस निर्णय को तुरंत वापस लेने की मांग की है।
दीपक बैज ने कहा कि हाफ बिजली बिल योजना पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की एक जनकल्याणकारी योजना थी, जिससे प्रदेश के करीब 44 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को राहत मिलती थी। इस योजना के अंतर्गत 400 यूनिट तक की खपत पर उपभोक्ताओं को आधा बिजली बिल देना होता था, जिससे खासकर गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को बड़ी राहत मिल रही थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के इस फैसले से इन वर्गों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा। बैज ने यह भी कहा कि सरकार एक ओर बिजली दरों में लगातार बढ़ोतरी कर रही है और दूसरी ओर जनहित की योजनाएं बंद कर रही है, जिससे आम आदमी की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में घरेलू बिजली दरों में 25 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि को इसका ताजा उदाहरण बताया गया।
कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए 6 और 7 अगस्त को प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है।
- 6 अगस्त को सभी जिला मुख्यालयों में कांग्रेस द्वारा प्रेस वार्ताएं आयोजित की जाएंगी।
- 7 अगस्त को बिजली कार्यालयों के सामने विरोध प्रदर्शन और घेराव किया जाएगा।
पार्टी नेताओं ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ने फैसला वापस नहीं लिया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि यह लड़ाई गरीब, किसान, मजदूर और निम्न आय वर्ग के हक के लिए है और इसके लिए प्रदेश भर में व्यापक जनजागरण किया जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि हाफ बिजली बिल योजना की समाप्ति से सीधे तौर पर उपभोक्ताओं की जेब पर असर पड़ेगा। पहले जहां 400 यूनिट खपत पर उपभोक्ताओं को सब्सिडी मिलती थी, अब उन्हें पूरा बिल चुकाना होगा। इससे मासिक खर्च में बढ़ोतरी तय मानी जा रही है।
हाफ बिजली बिल योजना की समाप्ति को लेकर छत्तीसगढ़ की राजनीति गर्मा गई है। कांग्रेस इसे जनहित के खिलाफ बता रही है जबकि भाजपा सरकार इस पर फिलहाल चुप्पी साधे हुए है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा राज्य की राजनीति में और भी गहराई से गूंज सकता है।
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