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तुलसीदास जयंती पर साहित्यिक संगोष्ठी और कवि गोष्ठी का भव्य आयोजन

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 हिंदी साहित्य भारती जिला इकाई जगदलपुर बस्तर द्वारा लाला जगदलपुरी केंद्रीय ग्रन्थालय जगदलपुर में  31 जुलाई को हुए गोस्वामी तुलसीदास जी की जय...

 हिंदी साहित्य भारती जिला इकाई जगदलपुर बस्तर द्वारा लाला जगदलपुरी केंद्रीय ग्रन्थालय जगदलपुर में  31 जुलाई को हुए गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती दिवस की स्मृति में दिनांक 03 अगस्त दिन रविवार को गोस्वामी तुलसीदास पर विचार गोष्ठी एवं कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया।

सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर गोस्वामी तुलसीदास जी एवं मुंशी प्रेमचंद जी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। सरस्वती वंदना एवं अतिथियों के स्वागत के साथ कार्यक्रम का प्रथम सत्र विचार गोष्ठी का प्रारंभ हुआ।


इस अवसर पर डॉ. सुनील कुमार श्रीवास्तव ने गोस्वामी तुलसीदास जी की जीवनी और उनका साहित्यिक और आध्यात्मिक पक्ष की व्याख्या की था गोस्वामी तुलसीदास जी रचित महाकाव्य रामचरित मानस का समाज को सुसंस्कृत करने में योगदान तथा उनकी अनेक कृतियों के संबंध में तथ्यात्मक जानकारी प्रदान की।

 हिमांशु शेखर झा ने आयोजित कार्यक्रम की प्रशंसा की तथा गोस्वामी जी की रचनात्मकता और वाल्मीकि रामायण की तुलनात्मक चर्चा करते हुए कहा कि तुलसीदास के मानस में राम के वन गमन में उद्धृत दंडकारण्य और कौशल प्रदेश को छत्तीसगढ़ में राम के वनगमन के संकेत बस्तर में होने की संभावना जताई तथा बस्तर के बीहड़ अंचल इंजरम की चर्चा करते हुए कहा कि वहां यह माना जाता है कि वहां के कण कण में राम का वास है।


डॉ. सुषमा झा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज आधुनिकता की चकाचौंध में जहां लोग सोशल मीडिया और फिल्म आदि के मायाजाल में फंस कर अपनी पुरातन संस्कृति से दूर हो रहे है उन्हें यह संदेश देना चाहते हैं कि वे अपने सद साहित्यों का अध्ययन करें एक बार रामचरित मानस अवश्य पढ़ें जिससे मन वचन और कर्म में ज्ञान और समर्पण का भाव आएगा और सुसंस्कृत समाज का विकास होगा।

 पूर्णिमा सरोज ने कहा कि आज सबसे महत्वपूर्ण बात है कि गोस्वामी जी ने राम चरित मानस, हनुमान चालीसा, विनय पत्रिका जैसी महान कृतियों की रचना कर सु संस्कृति को बहुत ही सहज और सुलभ रूप से समाज में उपलब्ध कराया जिसे समझना अत्यंत सरल है।

वहीं साहित्यिक प्रतिमान को भी ऊंचाइयों तक पहुंचाने में कामयाब रहे। रामचरित मानस की रचना उन्होंने दोहा, सोरठा ,चौपाई जैसे विविध छंदों में रची है।


तत्पश्चात् कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। कवि गोष्ठी पर कवियों ने तुलसीदास जयंती एवं सावन विषय पर अपनी रचनाएं पढ़ीं..

•सर्व प्रथम सरस्वती वंदना की प्रस्तुति युवा प्रतिभा रमा कश्यप के द्वारा की गई तत्पश्चात् 


• नवनीत कमल ने सावन पर अपनी खूबसूरत रचना प्रस्तुत की...

धरा का रूप अनुपम है,गिरे जल धार सावन में।

बहारें भी महकने को, करें मनुहार सावन में।


• नीता पांडे ने सावन की हरियाली पर प्रस्तुति दी 

सावन मनमोहक सावन,तुम हो मनभावन।

स्वागत हे सावन, तव आगमन से मन हुआ पावन


•नवोदित कवि रोमन चंद्र कर्मा ने सावन विषय पर कविता कही।

•डालेश्वरी पांडे ने अपनी कविता को सुरीले अंदाज़ में सस्वर सावन का बखान किया...

धानी धानी चुनर लहराई, सावन का महीना आया।


•सतरूपा मिश्रा ने 

कोई ला दो बचपन का सावन... कविता पढ़ी।


•प्रियांशु गोस्वामी युवा प्रतिभाशाली नवोदित कवि ने बेहद खूबसूरत अंदाज़ में श्रीराम पर अपनी कविता प्रस्तुत की ...

राम नाम बस रटत रटत, तुम राघव न बन पाओगे।

रघुवर सा बनना है तो, कब मन में राम बिठाओगे।


•प्रशांत दास मानिकपुरी युवा कवि ने धरा पर अपनी खूबसूरत कविता सुनाई....

वैसे धरा कब लुभाओगी तुम,

हर बरसात में मेरे हृदय में बस जाओगी तुम।


•तुलादास मानिकपुरी ने बस्तर पर अपनी कविता प्रस्तुत की।

•एच. पी.चन्द्रा ने सावन पर कविता कही।

साथ ही प्रियांशु गोस्वामी द्वारा बनाई सुंदर कलाकृति रामदरबार की पेंटिंग का अतिथि साहित्यकारों द्वारा अनावरण किया गया। अंत में नवोदित कलम कारों एवं अतिथियों का सम्मान कलम द्वारा किया गया।


इस अवसर पर समाज सेवी अनीता राज, गज़लकार ऋषि शर्मा ऋषि, जिला शतरंज संघ के अध्यक्ष शशांक शेंडे,शोभा शर्मा,रवींद्र कुमार भारती, जितेंद्र पांडे, दिनेश पराते,देवश्री गोयल, ग्रन्थालय प्रभारी सूरज निर्मलकर, गोपाल, धनसिंह, कवि, साहित्यकार एवं गणमान्य जनों की महत्वपूर्ण उपस्थिति रही। विशेष सहयोग प्रेम सदन साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था, साहित्य साधना शक्ति  का रहा। कवि गोष्ठी का संचालन तुलादास मानिकपुरी ने, तथा आभार प्रदर्शन नवनीत कमल ने किया। हिंदी साहित्य भारती, सहयोग प्रेम सदन साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था, साहित्य साधना शक्ति 


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