जगदलपुर: भाषाई और सांस्कृतिक एकता को नई दिशा देने के उद्देश्य से रविवार को दलपत सागर के समीप होटल ग्रैंड शिल्पी इंटरनेशनल में चित्रकोट-कन...
जगदलपुर: भाषाई और सांस्कृतिक एकता को नई दिशा देने के उद्देश्य से रविवार को दलपत सागर के समीप होटल ग्रैंड शिल्पी इंटरनेशनल में चित्रकोट-कन्नड़ा-छत्तीसगढ़ी संगमा का भव्य आयोजन किया गया। पूरे दिन चले तीन सत्रों में विशेषज्ञों, कलाकारों और पत्रकारों ने भाषा, इतिहास, संस्कृति तथा मीडिया की भूमिका पर अपने विचार साझा किए, वहीं विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने माहौल को यादगार बना दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत विशेष अनुष्ठान से हुई, जिसमें कर्नाटक और अन्य राज्यों से लाया गया कावेरी, तुंगभद्रा व महानदी का पवित्र जल, चित्रकोट स्थित इंद्रावती नदी में प्रवाहित किया गया। यह सांस्कृतिक संगम का प्रतीकात्मक संदेश था।
पहले सत्र में भारतीय भाषाओं को समझने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक के प्राचीन राजघरानों का इतिहास, भारत की सैन्य विरासत और विजयनगर साम्राज्य के योगदान जैसे विषयों पर चर्चा हुई। इस दौरान बस्तर
महाराजा कमल चंद भंजदेव ने कहा:
देश को आगे बढ़ाने में हम सबको भाषा और संस्कृति के स्तर पर एक रहना होगा। हम अपने पूर्वजों के सदकार्यों के कारण ही आज विकास कर रहे हैं।
वहीं विजयनगर हम्पी के महाराजा कृष्णदेव राय ने कहा:
हमें अपने विरासत पर गर्व होना चाहिए और भाषा-संस्कृति को सुरक्षित व समृद्ध करना हमारा कर्त्तव्य है।
दूसरे सत्र में भाषाई समरसता में फिल्मों की भूमिका पर विचार-विमर्श हुआ। इसी दौरान गंगासागर पांडा निर्देशित छत्तीसगढ़ी फिल्म “बलि” का टीज़र लॉन्च किया गया।
फिल्म निर्माता पांडा ने कहा:
भाषा कोई भी हो, पर मर्यादित होनी चाहिए। छत्तीसगढ़ में प्रकृति का सम्मान किया जाता है, इसलिए प्रकृति ने भी इस प्रदेश को सुरक्षा और सौंदर्य दिया है।
शाम के सत्र में सांस्कृतिक एवं भाषाई एकता में मीडिया की भूमिका पर परिचर्चा हुई।
वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कार्णिक ने कहा:
ऐसे आयोजन संस्कृति के पुल को मजबूत करते हैं। छोटे स्तर के प्रयास भी प्रभावी हो सकते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार सुमित अवस्थी ने कहा:
भाषा और संस्कृति के संरक्षण के लिए सभी को प्रयास करना चाहिए। हमारे देश के गुलदस्ते में कई भाषाई-संस्कृति के फूल हैं।
कार्यक्रम में आरजे नमित, पद्मिनी ओक, विंग कमांडर सुदर्शन, गंगासागर पांडा, उदय रघुनाथ बिरजे और रविकुमार अय्यर जैसे वक्ताओं ने अपनी उपस्थिति से शोभा बढ़ाई। पंडवानी गायिका रितु वर्मा और यक्षगान कलाकार निर्मला हेंगड़े की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। आयोजन आकाश वर्मा, सीमा महोत्रा वर्मा और कु. ऋग्विता द्वारा किया गया।
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