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स्वीपर संघ की चेतावनी: नियमितीकरण की अनदेखी पर उग्र आंदोलन की राह पर कर्मचारी

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• 300 किमी पदयात्रा, आमरण अनशन के बाद भी सरकार की चुप्पी जारी; अब मंत्रालय घेराव और चूल्हा-चौका बंद आंदोलन की घोषणा : रायपुर, 27 जुलाई 2025...

300 किमी पदयात्रा, आमरण अनशन के बाद भी सरकार की चुप्पी जारी; अब मंत्रालय घेराव और चूल्हा-चौका बंद आंदोलन की घोषणा :



रायपुर, 27 जुलाई 2025 : बस्तर जिले के 186 पूर्णकालिक स्वीपर कर्मचारी, जो 2014 में सीधी भर्ती के तहत नियुक्त हुए थे, अब सरकार की उपेक्षा से व्यथित होकर आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। वर्षों से लंबित नियमितीकरण की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे कर्मचारियों ने प्रशासनिक आश्वासन के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं देखी, तो आंदोलन की धार और तेज कर दी है।


आश्वासन के बाद भी नहीं मिला समाधान, फिर शुरू हुई पदयात्रा

संघ को पहले प्रशासन की ओर से एक माह में मांगें पूरी करने का लिखित आश्वासन दिया गया था, लेकिन समयसीमा बीतने के बावजूद कोई हल नहीं निकला। मजबूर होकर 24 जून को कर्मचारी जगदलपुर से रायपुर के लिए 300 किलोमीटर लंबी पदयात्रा पर निकल पड़े।


विधानसभा घेराव और आमरण अनशन का रास्ता

15 जुलाई को विधानसभा घेराव कर ज्ञापन सौंपा गया। इसके बाद 16 जुलाई से कर्मचारी जल त्याग कर अनशन पर बैठ गए हैं, जो आज 27 जुलाई तक बिना रुके जारी है। अनशन पर बैठे कई कर्मचारियों की तबीयत भी बिगड़ रही है, लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिला है।




अब आंदोलन और होगा उग्र, सरकार को अंतिम चेतावनी

सरकार की चुप्पी से आहत संघ ने आंदोलन को और तेज करने की घोषणा की है।

  • 28 जुलाई को रायपुर में "सद्बुद्धि यज्ञ" किया जाएगा।
  • 31 जुलाई को ताली-थाली बजाकर मंत्रालय का घेराव किया जाएगा।
  • 3 अगस्त से कर्मचारी अपने पूरे परिवार सहित चूल्हा-चौका बंद कर अन्न-जल त्यागकर आमरण अनशन पर बैठेंगे।

संघ का आरोप: सिर्फ वादे, कोई कार्रवाई नहीं

संघ का कहना है कि दस साल से सिर्फ आश्वासन दिए जा रहे हैं, जबकि अन्य कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया। वहीं ये कर्मचारी आज भी मजदूरी मद में गिने जा रहे हैं, जबकि इनकी नियुक्ति लिखित परीक्षा के माध्यम से हुई थी।


अंतिम चेतावनी: अब नहीं झुकेंगे

संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि अब पीछे हटने का सवाल नहीं है। यदि सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाया तो यह आंदोलन प्रदेशव्यापी रूप ले सकता है, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।

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