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इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम को मिला जबरदस्त समर्थन, 1.15 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव आए : अश्विनी वैष्णव

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 नई दिल्ली। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को बताया कि सरकार की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग ...


 नई दिल्ली। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को बताया कि सरकार की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम को भारी समर्थन मिला है। इस योजना के तहत सरकार को 1.15 लाख करोड़ रुपए (1,15,351 करोड़) के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। यह स्कीम देश में इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों और कंपोनेंट्स के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि योजना की रूपरेखा तैयार करते समय जितना निवेश और रोजगार का लक्ष्य तय किया गया था, उससे कहीं अधिक प्रस्ताव सरकार के पास आए हैं। वैष्णव ने बताया कि इस योजना की एप्लीकेशन विंडो 30 सितंबर को बंद हो गई थी और अब तक मिले निवेश प्रस्ताव अनुमान से कई गुना ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने लगभग 59,000 करोड़ रुपए निवेश मिलने का अनुमान लगाया था, लेकिन वास्तविक प्रस्ताव इससे कहीं अधिक आए हैं। हालांकि कैपिटल इक्विपमेंट सेगमेंट के लिए एप्लीकेशन विंडो अभी भी खुली है।

मार्च 2025 में केंद्रीय कैबिनेट ने इस योजना को 22,919 करोड़ रुपए के बजट के साथ छह वर्षों के लिए मंजूरी दी थी। इस स्कीम का उद्देश्य-भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग का मजबूत इकोसिस्टम तैयार करना, घरेलू मूल्य संवर्धन (DAV) बढ़ाना और भारतीय कंपनियों को ग्लोबल वैल्यू चेन (GVC) से जोड़ना है। सरकार ने इस योजना के तहत अनुमान लगाया था कि लगभग 59,350 करोड़ रुपए का निवेश, 4,56,500 करोड़ रुपए का उत्पादन, और करीब 91,600 प्रत्यक्ष रोजगार के साथ बड़ी संख्या में अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होंगी। वहीं, कंपनियों ने अब तक दिए प्रस्तावों में 1.41 लाख रोजगार देने की प्रतिबद्धता जताई है, जो सरकार के शुरुआती लक्ष्य से कहीं ज्यादा है।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी सचिव एस. कृष्णन ने भी पुष्टि की कि कंपनियों ने रोजगार सृजन के मामले में अपेक्षाओं से अधिक रुचि दिखाई है। उनका कहना था कि यह योजना भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर मजबूत बनाएगी और ‘मेक इन इंडिया’ के विजन को नई गति देगी।



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