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बस्तर में नक्सल उन्मूलन की दिशा में ऐतिहासिक दिन 153 हथियारों के साथ 210 कैडरों ने किया आत्मसमर्पण

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जगदलपुर (विमलेंदु शेखर झा), 17 अक्टूबर 2025  :  छत्तीसगढ़ के बस्तर में आज शांति एवं पुनर्निवेश का एक ऐतिहासिक अध्याय लिखा गया, जब दण्डकारण्य...

जगदलपुर (विमलेंदु शेखर झा), 17 अक्टूबर 2025 :  छत्तीसगढ़ के बस्तर में आज शांति एवं पुनर्निवेश का एक ऐतिहासिक अध्याय लिखा गया, जब दण्डकारण्य क्षेत्र के 210 माओवादी कैडरों ने हथियार डालकर लोकतंत्र और संविधान की मुख्यधारा में लौटने का पक्का संकल्प लिया। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस घटना को राज्य-स्तर ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए मील का पत्थर करार दिया।


कुल आत्मसमर्पित कैडर: 210 (सरकारी कार्यक्रम में रिपोर्ट के अनुसार)। ध्यान दें: कार्यक्रम में जारी विस्तृत कैडर प्रोफ़ाइल में कुल 208 नाम दर्ज हैं इस मामूली अंतर को आधिकारिक पन्नों पर अंतिम पुष्टि के बाद समेकित किया जाएगा।

समर्पित हथियार: 153 (AK-47, SLR, INSAS, LMG, 303, कार्बाइन, BGL लॉन्चर, 12-बोर/सिंगल शॉट, पिस्टल आदि)।

वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी शामिल: 1 सेंट्रल कमेटी सदस्य, 4 DKSZC सदस्य, 21 डिविजनल कमेटी सदस्य और अन्य वरिष्ठ वांछित कैडर।

कार्यक्रम स्थल: जगदलपुर पुलिस लाइन परिसर; स्वागत पारंपरिक मांझी-चालकी विधि से तथा समापन ‘वन्दे मातरम्’ से हुआ।

मुख्यमंत्री का संदेश: विश्वास, पुनर्वास और विकास ही रास्ता


मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा — “जो युवा कभी हिंसा के रास्ते पर चले गए थे, आज उन्होंने संविधान थामकर लोकतंत्र और विकास की राह चुनी है। यह केवल आत्मसमर्पण नहीं, बल्कि विश्वास और परिवर्तन की शुरुआत है। हमारी सरकार इन साथियों के पुनर्वास और उज्ज्वल भविष्य के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”

उन्होंने राज्य और केंद्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि नक्सल उन्मूलन की नीति, संवाद-आधारित कार्यक्रम और विकास योजनाओं ने इस सफलता में निर्णायक भूमिका निभाई है।

पूना मारगेम  पुनर्वास से पुनर्जीवन: योजनाएँ और वादे

राज्य शासन की नक्सल आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025, साथ ही “नियद नेल्ला नार योजना” और पूना मारगेम — पुनर्वास से पुनर्जीवन जैसे कार्यक्रमों का उद्देश्य आत्मसमर्पितों को आवास, आर्थिक सहायता, कौशल प्रशिक्षण और आजीविका योजनाओं से जोड़ना बताया गया। पुलिस व स्थानीय प्रशासन ने पुनर्वास सहायता, आवास व स्वरोजगार योजनाओं की जानकारी दी और समर्पितों के समेकित भविष्य के लिए कदम उठाने का आश्वासन दिया गया।

स्वागत का सांस्कृतिक रंग  मांझी-चालकी विधि और संविधान की शपथ

जगदलपुर पुलिस लाइन में आयोजित कार्यक्रम में आत्मसमर्पितों का पारंपरिक मांझी-चालकी विधि से गरिमापूर्ण स्वागत किया गया। आत्मसमर्पण करने वालों को लाल गुलाब भेंट कर सम्मानित किया गया और उन्होंने सार्वजनिक रूप से संविधान की शपथ लेकर हिंसा त्यागने का संकल्प जताया। कार्यक्रम का समापन “वन्दे मातरम्” के सुमधुर गान के साथ हुआ।

दण्डकारण्य आत्मसमर्पण  कुल प्रोफ़ाइल (कार्यक्रम में जारी विवरण)

कुल कैडर (विवरण):


1. CCM — 01

2. DKSZC — 04

3. Regional Committee Member — 01

4. DVCM (Divisional Committee Member) — 21

5. ACM स्तर — 61

6. Party Members — 98

7. PLGA / RPC / अन्य — 22

कुल (लिखित सूची के अनुसार) - 208 कैडर

लिंग विभाजन (सूची के अनुसार): महिला 110, पुरुष 98

> नोट: समग्र कार्यक्रम में आधिकारिक तौर पर 210 आत्मसमर्पण की घोषणा की गई — सूची में जोड़ा-घटाया जाने का छोटा अंतर प्रलेखों के कनिष्ठ समेकन का परिणाम हो सकता है; अंतिम नामावली प्रशासन द्वारा चिह्नित कर दी जाएगी।

हथियारों का विवरण (कुल 153)

AK-47: 19

SLR राइफल: 17

INSAS राइफल: 23

INSAS LMG: 1

.303 राइफल: 36

कार्बाइन: 4

BGL लॉन्चर: 11

12-बोर / सिंगल शॉट: 41

पिस्टल: 1

यह हथियार समर्पण हिंसा की परंपरा का प्रतीकात्मक अंत दर्शाता है और सुरक्षा-प्रशासन के लिये महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

विश्लेषण और भविष्य की राह:

विशेषज्ञों का मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर वरिष्ठ नेतृत्व और सक्रिय कैडरों का एक साथ आत्मसमर्पण न केवल सुरक्षा बलों की रणनीति की सफलता है, बल्कि स्थानीय विकास, संवाद और विश्वास-निर्माण नीतियों का भी प्रत्यक्ष प्रमाण है। पुनर्वास की गुणवत्ता, आजीविका अवसरों का निरंतरता और सामुदायिक समेकन अगला निर्णायक कारक होगा — तभी यह परिवर्तन दीर्घकालिक और स्थायी होगा।

समापन:

बस्तर में आज का दिन—वंदे मातरम् के स्वर और संविधान की शपथ के साथ—शांति, विश्वास और विकास के नए आरम्भ का प्रतीक बन गया। राज्य सरकार ने आत्मसमर्पितों के पुनर्निवेश के लिये संसाधन, प्रशिक्षण और समेकित सहायता का आश्वासन दिया है। अब अगला कदम इन योजनाओं को तेज़ी से लागू कर आत्मसमर्पितों को समाज की मुख्यधारा में स्थायी रूप से जोड़ना होगा, ताकि यह ऐतिहासिक क्षण स्थायी परिवर्तन में बदल सके।

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