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माता-पिता को समर्पित कविताओं की काव्य गोष्ठी में गूंजी भावनाओं की स्वर लहरियां डॉ. हर्षवर्धन तिवारी के ग्रंथ एवं सीडी का विमोचन भी हुआ

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रायपुर: छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य मंडल, रायपुर द्वारा दीपावली मिलन के अवसर पर आयोजित “माता-पिता को समर्पित काव्य गोष्ठी” में कवियों ने अपनी रचनाओं से वात्सल्य, श्रद्धा और संवेदना की गहराई को अभिव्यक्त किया। कार्यक्रम का आयोजन विगत दिवस वृंदावन हॉल, सिविल लाइंस, रायपुर में किया गया।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति डॉ. हर्षवर्धन तिवारी थे, जबकि अध्यक्षता आचार्य अमरनाथ त्यागी ने की। विशेष अतिथि के रूप में चिंतक लेखक कवि संजीव ठाकुर, कवि अंबर शुक्ला, डॉ. रीता शुक्ला और लतिका भावे उपस्थित रहीं। संचालन का दायित्व कवि सुनील पांडे ने प्रभावी रूप से निभाया।


इस अवसर पर डॉ. हर्षवर्धन तिवारी के ग्रंथ और सीडी का विमोचन किया गया। अपने काव्य पाठ में उन्होंने कहा 

मां की गोद मेरा पहला सिंहासन था,

उनकी छाती मेरा पहला बिस्तर था,

उनकी निगाह और बाहें मेरी पहली रक्षा कवच थीं।

सविता राय ने अपनी कविता में मां की ममता को सार्वभौमिक बताया 

मां हमारी हो या सरहद पार की,

एक जैसी होती है सबकी मां।

कवि संजीव ठाकुर ने अपनी मार्मिक रचना में कहा 

मैंने ईश्वर को नहीं देखा,

पर मां को देखा था,

अब ईश्वर को देख लिया,

क्योंकि मां होती है, तो ईश्वर भी होते हैं।

नवोदित कवित्री धेर्या छाजेड़ ने अपनी प्रेरक पंक्तियों में कहा 

आसान जीवन का स्वप्न हर हृदय संजोता है,

पर जो खुद से पहले औरों की सोचे, उजियारा उसी से होता है।


कार्यक्रम में लतिका भावे, अंबर शुक्ला अंबरीश, डॉ. रीता तिवारी, गोपाल सोलंकी, मधु तिवारी, अभिषेक चंद्राकर, आर. डी. अहिरवार, सुरेन्द्र रावल, कन्हैया लाल, कावेरी व्यास, जागृति मिश्रा, रवि, मन्नूलाल यदु, चंद्रकांत अग्रवाल, युक्ता राजश्री, नर्मदा प्रसाद विश्वकर्मा, छबिलाल सोनी, राजेंद्र रायपुरी, रामचंद्र श्रीवास्तव, शोभा शर्मा, यशवंत यदु, और प्रीति रानी तिवारी ने भी अपनी कविताओं से उपस्थित जनों को भाव-विभोर किया।

अंत में सुनील पांडे ने सभी अतिथियों, कवियों और श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम का समापन दीपावली की आत्मीयता और माता-पिता के प्रति कृतज्ञता के भाव से हुआ।


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