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प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा जगदलपुर में विचार गोष्ठी रखी गई

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जगदलपुर :- प्रखर राजनीतिक चेतना संपन्न कवि और लेखक,समीक्षक गजानन माधव मुक्तिबोध पर केंद्रित एक विचार गोष्ठी का आयोजन प्रगतिशील लेखक संघ,जगद...

जगदलपुर :- प्रखर राजनीतिक चेतना संपन्न कवि और लेखक,समीक्षक गजानन माधव मुक्तिबोध पर केंद्रित एक विचार गोष्ठी का आयोजन प्रगतिशील लेखक संघ,जगदलपुर द्वारा लाला जगदलपुरी केन्द्रीय पुस्तकालय परिसर स्थित ज़िला ग्रंथालय में किया गया। समाजशास्त्र के पूर्व प्राध्यापक अली एम सैयद ने अध्यक्षता 

की। 


           कार्यक्रम का आरंभ करते हुए जगदीश चंद्र दास ने मुक्तिबोध को बीसवीं सदी के श्रेष्ठतम रचनाकारों में से एक कहा, जिन्होंने समाज में व्याप्त आर्थिक असमानता से उपजे शोषण,अन्याय और विसंगतियों की स्पष्ट पहचान अपनी रचनाओं में की है।वरिष्ठ साहित्यकार मदन आचार्य ने मुक्तिबोध के गद्य रचनाओं पर केंद्रित आलेख का पाठ करते हुए कहा कि मुक्तिबोध की कविताओं का विस्तार उनके गद्य में है। एक साहित्यिक की डायरी,सृजन के तीन क्षणों का उल्लेख भी उन्होंने किया।



       हिन्दी के प्राध्यापक योगेन्द्र मोतीवाला ने अपने विस्तृत वक्तव्य में मुक्तिबोध को मनुष्य की बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध रचनाकार कहा । उनकी रचनाओं में बिम्बों,प्रतीकों की बहुलता है। कविता के आत्मसंघर्ष की स्पष्ट झलक मुक्तिबोध में है।

हिमांशु शेखर झा ने मुक्तिबोध की रचनाओं में निहित मनुष्य के अस्तित्व के संघर्ष को इंगित किया।



        कथाकार उर्मिला आचार्य ने मुक्तिबोध की कहानियां खलील काका और वह कहानियों पर विस्तार से अपनी बात रखी।

डॉ.सुनील श्रीवास्तव ने मुक्तिबोध के परिप्रेक्ष्य में एक समीक्षक को उद्धृत किया और कहा कि मनुष्य के बेहतर अस्तित्व का संघर्ष मुक्तिबोध के रचना संसार में है।

साहित्यकार ख़ुदेजा ख़ान ने मुक्तिबोध की रचना 'काठ का सपना' पर विस्तार से अपने विचार रखे। 

 वरिष्ठ रंगकर्मी एम ए रहीम ने मुक्तिबोध की एक कविता का पाठ किया।

अध्यक्षीय वक्तव्य में अली एम सैयद ने मुक्तिबोध को संपूर्ण मानव समाज पर पैनी नज़र रखने वाला और मनुष्य की बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध रचनाकार कहा।

कार्यक्रम का संचालन जगदीश चन्द्र दास ने किया। इस कार्यक्रम में विक्रम कुमार सोनी,योगेंद्र सिंह राठौर,प्रकाश चन्द्र जोशी, गजराज सिंह,दीपक थवानी,अनिता राज, शरदचंद्र गौड़ भी शामिल थे।


इस कार्यक्रम के आयोजन में लाला जगदलपुरी केन्द्रीय पुस्तकालय के प्रभारी अधिकारी सूरज निर्मलकर और गोपाल पाण्डे ,धन सिंह का विशिष्ट सहयोग रहा।


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