जगदलपुर: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मेडिकल पीजी में राज्य कोटा 50 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत किए जाने के निर्णय के बाद प्रदेशभर में असंतोष ब...
जगदलपुर: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मेडिकल पीजी में राज्य कोटा 50 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत किए जाने के निर्णय के बाद प्रदेशभर में असंतोष बढ़ता जा रहा है। सरकार के ताज़ा गजट नोटिफिकेशन के बाद मेडिकल छात्रों और अभिभावकों में चिंता गहरा गई है। इसी क्रम में पूर्व विधायक रेखचंद जैन ने इस फैसले को स्थानीय छात्रों के भविष्य पर सीधा कुठाराघात बताया है।
पूर्व विधायक जैन ने कहा कि नए नियम से सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों की राज्य कोटे की सीटें लगभग आधी हो जाएंगी, जिसका सबसे अधिक नुकसान प्रदेश के उन छात्रों को होगा, जिन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई कर प्रदेश में ही सेवा देने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का यह कदम स्थानीय छात्रों को न केवल पीजी की पढ़ाई से वंचित करेगा बल्कि ग्रामीण सेवा के अवसर भी कम हो जाएंगे, जिससे बस्तर जैसे पिछड़े क्षेत्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी बढ़ सकती है।
वर्तमान में जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में पीजी की 28 सीटें हैं, जिनमें से 15 सीटें राज्य कोटे के अंतर्गत आती हैं। नए नियम लागू होने पर यह संख्या घटकर लगभग आधी रह जाएगी। वहीं प्रदेश के सबसे बड़े जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर में 146 पीजी सीटें हैं, जिनमें से 74 सीटें अभी राज्य कोटे की हैं। सरकार के फैसले के बाद यहां सिर्फ 37 सीटें ही राज्य कोटा श्रेणी में उपलब्ध रहेंगी।
प्रदेश भर के रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर, अंबिकापुर, रायगढ़, राजनांदगांव और कोरबा स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेजों में वर्तमान में कुल 190 राज्य कोटा सीटें हैं। संशोधन लागू होने पर इनका बड़ा हिस्सा कम हो जाएगा, जिससे प्रतियोगिता और कठिन हो जाएगी।
सरकार के नए नियमों में निजी कॉलेजों में स्टेट कोटा 42.5 प्रतिशत और उतना ही मैनेजमेंट कोटा निर्धारित किया गया है, जिस पर भी पूर्व विधायक जैन ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि निजी कॉलेजों में कोटा का यह नया ढाँचा प्रदेश के छात्रों के साथ अन्याय है।
पूर्व विधायक ने राज्य की भाजपा सरकार से तत्काल इस निर्णय पर पुनर्विचार करने और स्थानीय छात्रों के हित में संशोधन वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है कि यह फैसला भविष्य में प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।


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