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भूविस्थापितों ने किसान विरोधी सीएमडी का फूंका पुतला, कहा : नियमित रोजगार से कम, कुछ मंजूर नहीं, खदान बंदी से एसईसीएल को अभी तक 100 करोड़ का नुकसान

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कुसमुंडा (कोरबा) : रोजगार एकता संघ के बेनर तले जमीन के बदले रोजगार की मांग को लेकर एसईसीएल के कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय के सामने धरना प्र...

कुसमुंडा (कोरबा) : रोजगार एकता संघ के बेनर तले जमीन के बदले रोजगार की मांग को लेकर एसईसीएल के कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन आज 33वें दिन भी जारी रहा। रोजगार एकता संघ और छत्तीसगढ़ किसान सभा ने घोषणा की है कि जमीन के बदले रोजगार मिलने तक भूविस्थापितों का आंदोलन जारी रहेगा और नियमित रोजगार से कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है।


उल्लेखनीय है कि विस्थापन प्रभावित गांवों के किसानों ने 1 दिसंबर को रात दो बजे कुसमुंडा खदान पर धावा बोलकर 9 घंटे तक खदान में उत्पादन तथा परिवहन कार्य ठप्प कर दिया था। इसके बाद प्रबंधन ने पुलिस बुलाकर आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कराया, लेकिन जन दबाव में प्रशासन को उन्हें दूसरे दिन ही रिहा करना पड़ा। आंदोलनकारियों द्वारा दो बार खदान बंदी से अभी तक प्रबंधन को 100 करोड़ रुपयों से अधिक का नुकसान हो चुका है।
एसईसीएल के किसान विरोधी रवैये और भूविस्थापितों के आंदोलन को पुलिसिया दमन के सहारे लेकर दबाने के खिलाफ आज कुसमुंडा के कबीर चौक पर सीएमडी ए पी पंडा का पुतला जलाया गया तथा सभा की गई। रोजगार एकता संघ के सचिव दामोदर ने कहा कि रोजगार के लिए आंदोलन रूकेगा नहीं, बल्कि गांव-गांव में इसका विस्तार किया जाएगा। रोजगार नहीं मिलने पर विस्थापित किसान अपनी जमीन पर कब्जा कर पुनः खेती करेंगे।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए किसान सभा नेता दीपक साहू ने एसईसीएल के दमनात्मक रवैये की तीखी निंदा की और कहा कि रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे किसानों की आवाज़ को दमन से दबाया नहीं जा सकता। जेल जाने से लोगों का हौसला और बढ़ा है और भूविस्थापित किसान नई ऊर्जा के साथ आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि यदि अधिग्रहित भूमि के एवज में नियमित रोजगार नहीं दिया गया, तो इसके लिए जिम्मेदार एसईसीएल अधिकारी भी बेरोजगार होने के लिए तैयार रहे।
आज के धरना और पुतला दहन कार्यक्रम में अनिल, हेम, दीपक, अजय, अश्वनी, बजरंग सोनी, रघुनंदन, कृष्णा, रामप्रसाद, रविशंकर, हरि कैवर्त, चन्द्रशेखर आदि कार्यकर्ताओं के साथ बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।

तमाम जानकारी हमे प्रशांत झा (सचिव, छग किसान सभा, कोरबा) से प्राप्त हुई।

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