रायपुर/अंतरराष्ट्रीय डेस्क: लगभग दो वर्षों से जारी इसराइल–हमास युद्ध आखिरकार थम गया है। यह युद्धविराम अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की...
रायपुर/अंतरराष्ट्रीय डेस्क:
लगभग दो वर्षों से जारी इसराइल–हमास युद्ध आखिरकार थम गया है। यह युद्धविराम अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता से संभव हुआ, जिन्हें इस ऐतिहासिक समझौते के लिए इसराइल सरकार ने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान किया है। इस शांति समझौते में हमास ने इसराइल के शेष 20 नागरिक बंधकों को रिहा किया, बदले में इसराइल ने 1900 से अधिक फ़िलिस्तीनी कैदियों को आज़ाद किया।
इस युद्ध में अरबों डॉलर की आर्थिक क्षति हुई, गाज़ा पट्टी से एक लाख से अधिक नागरिक विस्थापित हुए और दोनों पक्षों में हजारों लोगों की मौत हुई। हालांकि सटीक संख्या का अनुमान अब तक नहीं लगाया जा सका है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस समझौते को “मानवता के लिए राहत की संधि” बताया है।
•ट्रंप की कूटनीति और ह्यूमैनिटी फर्स्ट इनिशिएटिव:
डोनाल्ड ट्रंप ने इस पहल को ह्यूमैनिटी फर्स्ट इनिशिएटिव नाम दिया। उन्होंने कतर, मिस्र, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय देशों के साथ मिलकर बहुपक्षीय शांति प्रारूप तैयार किया।
जनवरी 2025 में हुए पहले चरण के “गाज़ा शांति समझौते” के तहत 33 इज़राइली बंधकों की रिहाई हुई थी। उसके बाद अक्टूबर 2025 में बचे हुए 20 बंधकों को भी रिहा किया गया।
ट्रंप ने कहा, यदि यह समझौता सफल होता है तो मैं नहीं, बल्कि शांति स्वयं नोबेल की हकदार होगी।
विश्लेषकों का मानना है कि इस समझौते के बाद ट्रंप की नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्ति की संभावना 2026 के लिए और प्रबल हो गई है।
•भारत की संतुलित भूमिका:
इस पूरी प्रक्रिया में भारत की भूमिका भी उल्लेखनीय रही। भारत ने गाज़ा में मानवीय सहायता, दवाइयाँ, खाद्य सामग्री और राहत दल भेजे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “भारत आतंकवाद के खिलाफ है और निर्दोष जीवन की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेगा।”
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में भी दोनों पक्षों से संयम बरतने और स्थायी शांति की अपील की। इससे भारत की एक संतुलित, विश्वसनीय मध्यस्थ के रूप में छवि और मज़बूत हुई है।
• संघर्ष की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
1948 में इसराइल के गठन के साथ ही अरब–फ़िलिस्तीनी विवाद शुरू हुआ। 1967 के छह दिवसीय युद्ध के बाद गाज़ा इसराइली नियंत्रण में आया और 2007 में हमास ने इस पर कब्ज़ा कर लिया।
सितंबर 2023 में हमास ने इज़राइल पर बड़े पैमाने पर हमला किया, जिसमें 700 से अधिक नागरिक और सैनिक बंधक बनाए गए। इसके जवाब में इज़राइल ने ऑपरेशन आयरन स्वॉर्ड शुरू किया, जिससे गाज़ा में विनाश का दौर चल पड़ा।
संयुक्त राष्ट्र ने इस स्थिति को 21वीं सदी का सबसे बड़ा मानवीय संकट बताया। बिजली, पानी, दवाओं की कमी और लाखों विस्थापितों की दुर्दशा ने विश्व समुदाय को झकझोर दिया।
•भविष्य की राह:
युद्धविराम के बावजूद क्षेत्र में स्थायी शांति अभी दूर है।
विश्लेषकों का कहना है कि अगर इस समझौते को राजनीतिक स्थिरता का रूप नहीं दिया गया, तो गाज़ा फिर अस्थिरता का केंद्र बन सकता है।
फिलहाल अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए सबसे बड़ी चुनौती है इसराइल और फ़िलिस्तीन के बीच स्थायी विश्वास बहाली।
जैसा कि चिंतक संजीव ठाकुर कहते हैं
युद्ध से कोई विजेता नहीं निकलता; विजेता केवल पीड़ा और विनाश होता है।
विमलेंदु शेखर झा
चिंतक, लेखक एवं स्तंभकार
रायपुर, छत्तीसगढ़
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