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राज्योत्सव शिल्पग्राम में ढोकरा शिल्प बना आकर्षण का केंद्र पारंपरिक कला की झलक देख मुग्ध हुए दर्शक

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रायपुर, 3 नवम्बर 2025:     छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के 25वें वर्षगांठ पर नवा रायपुर में आयोजित भव्य राज्योत्सव 2025 के शिल्पग्राम में इस बार ...

रायपुर, 3 नवम्बर 2025:    छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के 25वें वर्षगांठ पर नवा रायपुर में आयोजित भव्य राज्योत्सव 2025 के शिल्पग्राम में इस बार छत्तीसगढ़ की पारंपरिक ढोकरा शिल्प कला लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। प्राचीन लॉस्ट वैक्स तकनीक से तैयार यह बेलमेटल शिल्प आज भी अपनी विशिष्ट पहचान और सौंदर्य बनाए हुए है। शिल्पग्राम पहुंच रहे आगंतुक बस्तर के इस पारंपरिक शिल्प की मूर्तियों, सजावटी वस्तुओं और जनजातीय आकृतियों को देखकर मंत्रमुग्ध हो रहे हैं।


 स्थानीय कला को मिल रहा है प्रोत्साहन

राज्य के विभिन्न जिलों से आए शिल्पकारों को राज्योत्सव में अपनी कला प्रदर्शित करने का अनूठा अवसर मिला है। छत्तीसगढ़ सरकार की इस पहल से स्थानीय कला और कलाकारों को नई पहचान और व्यापक बाजार मिला है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा शिल्पकारों को मंच और विपणन सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयासों की कलाकारों व आगंतुकों ने सराहना की है।

राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित पंचुराम सागर की कृतियाँ आकर्षण का केंद्र

कोंडागांव के भेंलवापदरपारा से आए राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कलाकार श्री पंचुराम सागर की रचनाएँ — मावली माता, झिटकु-मिटकु और महाराणा प्रताप — दर्शकों को विशेष रूप से आकर्षित कर रही हैं। श्री सागर ने बताया कि राज्योत्सव जैसे आयोजनों से कलाकारों को पहचान मिलती है और ढोकरा कला के प्रति लोगों में बढ़ती रुचि देखना सुखद है।

आदन झाड़. में झलकती बस्तर की प्रकृति और संस्कृति

बस्तर के चिलकुटी गांव से आई युवा शिल्पकार कुमारी उर्मिला की शिल्प कृति ‘आदन झाड़’ दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। इस अनूठी कृति में दीमक भिंभोरा और आदमकद शेर की आकृति के माध्यम से बस्तर की जनजातीय संस्कृति और प्रकृति संरक्षण का संदेश दिया गया है।

 झारा और बांस शिल्प भी बना आकर्षण

सारंगढ़ के श्री मिनकेटन बघेल, श्री कृष्णचंद, और रायगढ़ के एकताल गांव के श्री रघु झारा द्वारा प्रदर्शित झारा शिल्प को भी लोगों का खूब प्यार मिल रहा है। वहीं बिलासपुर जिले के सीपत से आए श्री रमेश कुमार धुलिया की बांस शिल्प कृतियाँ — टुकनी, पर्रा, की-होल्डर और फ्लॉवर पॉट — आगंतुकों का ध्यान अपनी ओर खींच रही हैं।

स्थानीय शिल्प को राष्ट्रीय पहचान की दिशा में कदम

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार स्थानीय कला और शिल्प को सशक्त बनाने, उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने और शिल्पकारों को स्थायी बाजार उपलब्ध कराने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है। शिल्पग्राम पहुंचे शिल्पकारों का कहना है कि ऐसे आयोजनों से उन्हें न केवल प्रोत्साहन मिलता है, बल्कि अपनी कला को आगे बढ़ाने का आत्मविश्वास भी।

राज्योत्सव 2025 का यह शिल्पग्राम बस्तर की परंपरा, संस्कृति और सृजनशीलता का सजीव प्रतीक बन गया है, जहाँ हर कला एक कहानी कहती है और हर कलाकार छत्तीसगढ़ की आत्मा को मूर्त रूप देता है।

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