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राष्ट्रीय तुलसी साहित्य अकादमी ने साहित्यकार संजीव ठाकुर को राष्ट्रीय सलाहकार एवं प्रांत अध्यक्ष पद पर किया मनोनीत

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जगदलपुर/29 नवम्बर 2025: राष्ट्रीय तुलसी साहित्य अकादमी ने देश के ख्याति प्राप्त साहित्यकार, कवि एवं लेखक संजीव ठाकुर को अकादमी का राष्ट्रीय ...

जगदलपुर/29 नवम्बर 2025:

राष्ट्रीय तुलसी साहित्य अकादमी ने देश के ख्याति प्राप्त साहित्यकार, कवि एवं लेखक संजीव ठाकुर को अकादमी का राष्ट्रीय सलाहकार एवं प्रांत अध्यक्ष मनोनीत किया है। इस महत्वपूर्ण मनोनयन की औपचारिक घोषणा अकादमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. मोहन तिवारी ‘आनंद’ द्वारा आज दिनांक 29 नवंबर 2025 को जारी अधिसूचना के माध्यम से की गई।

मनोनयन के उपरांत श्री ठाकुर को प्रदेश में अकादमी की नई कार्यकारिणी के गठन, साहित्यकारों के चयन, सम्मान एवं पुरस्करण की रूपरेखा तय करने तथा साहित्यिक गतिविधियों के विस्तार हेतु दिशा-निर्देश भी प्रदान किए गए हैं। राष्ट्रीय तुलसी साहित्य अकादमी वर्ष 2004 से साहित्यिक चेतना के संवर्धन, संरक्षण एवं प्रसार के लिए देशभर में सक्रिय है। अकादमी द्वारा राष्ट्रीय स्तर के कवि सम्मेलन, सेमिनार, कार्यशालाएं, संगोष्ठियाँ एवं साहित्यिक परिसंवाद आयोजित किए जाते हैं, साथ ही देशभर के प्रतिष्ठित कवियों, लेखकों एवं साहित्यकारों को उनके विशिष्ट योगदान के लिए सम्मानित भी किया जाता है।

राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि एवं लेखक संजीव ठाकुर पिछले 35 वर्षों से सक्रिय साहित्य सेवा में संलग्न हैं। उनकी रचनाएँ कविताएँ, आलेख व ग़ज़लें देश के प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों और प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं में पिछले पाँच वर्षों से प्रतिदिन निरंतर प्रकाशित हो रही हैं। उनके इस अद्वितीय योगदान के लिए उनका नाम गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है। उनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा उन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। श्री ठाकुर विभिन्न अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक यात्राओं में भारतीय साहित्य का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। कई प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थाओं में वे संरक्षक एवं सलाहकार की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

देशभर में सर्वाधिक प्रकाशित होने वाले लेखकों में शुमार संजीव ठाकुर का लोकप्रिय स्तंभ ‘संजीवनी’ पिछले 15 वर्षों से देश की प्रमुख साहित्यिक पत्रिकाओं एवं दैनिक समाचार पत्रों में नियमित रूप से प्रकाशित हो रहा है और साहित्य प्रेमियों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है। वर्तमान में श्री ठाकुर साहित्य के उत्थान, सृजनधर्मिता और सांस्कृतिक चेतना के विस्तार के प्रति समर्पित भाव से सक्रिय हैं। उनका यह मनोनयन साहित्य-जगत में नई ऊर्जा और रचनात्मक दिशा के रूप में देखा जा रहा है।

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