Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

भारत–रूस सामरिक समझौते ने बदला वैश्विक शक्ति-संतुलन; यूरोपीय देशों में बढ़ी चिंता

यह भी पढ़ें -

रायपुर : विश्व राजनीति की बदलती चालों और शक्ति-संतुलन की नई स्पर्धा के बीच भारत और रूस के बीच हुआ नवीनतम सुरक्षा समझौता RELOS (Reciprocal E...

रायपुर:

विश्व राजनीति की बदलती चालों और शक्ति-संतुलन की नई स्पर्धा के बीच भारत और रूस के बीच हुआ नवीनतम सुरक्षा समझौता RELOS (Reciprocal Exchange of Logistics Support) वैश्विक सामरिक परिदृश्य में एक नया भू-रणनीतिक अध्याय खोल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता न केवल दोनों देशों के रिश्तों को नई ऊँचाइयाँ देता है, बल्कि अमेरिका यूरोप नाटो धुरी और चीन रूस धुरी के बीच उभर रहे तनावपूर्ण परिदृश्य में भारत को एक स्वतंत्र, मजबूत एवं निर्णायक शक्ति के रूप में स्थापित करता है।

RELOS के तहत दोनों देशों की सेनाएँ एक दूसरे के सैन्य अड्डों, बंदरगाहों, एयरबेस, मरम्मत सुविधाओं और लॉजिस्टिक नेटवर्क का उपयोग कर सकेंगी। इससे पहली बार भारत की सामरिक पहुंच

  • हिंद महासागर क्षेत्र से आगे बढ़कर
  • आर्कटिक, बाल्टिक सागर, रूसी फॉर ईस्ट और मध्य-एशिया
    तक स्थापित होगी।

इसी प्रकार रूस को भी भारतीय नौसैनिक अड्डों तक पहुँच मिलेगी, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में उसकी उपस्थिति मजबूत होगी। यह स्थिति यूरोप और नाटो देशों के लिए विशेष चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि इससे एशिया-प्रशांत में शक्ति-संतुलन की नई धुरी बन सकती है।

यूरोपीय सामरिक विश्लेषकों के अनुसार

  • भारत की स्वतंत्र विदेश नीति
  • रूस के साथ उसकी दीर्घकालिक, विश्वसनीय साझेदारी
  • और पश्चिमी देशों के साथ भारत के बढ़ते सामरिक संबंध

इन सबके बीच RELOS जैसे समझौते का उभरना संकेत देता है कि भारत किसी भी ध्रुव का हिस्सा बनने के बजाय बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था का नेतृत्व करने की ओर बढ़ रहा है।

भारत रूस संबंधों का इतिहास दशकों पुराना है। टी-90 टैंकों से लेकर सुखोई 30 एमकेआई, मिग-29, कामोव हेलीकॉप्टर और ब्रह्मोस मिसाइल जैसी परियोजनाएँ इस साझेदारी की नींव मजबूत करती रही हैं।
भविष्य में ब्रह्मोस-II, फाइटर इंजन कार्यक्रम, AIP सबमरीन तकनीक, और स्पेस-डिफेंस प्लेटफॉर्म भारत और रूस को वैश्विक हथियार बाज़ार में निर्णायक खिलाड़ी बना सकती हैं।

विश्लेषकों के अनुसार, यह समझौता दुनिया में शक्ति-संतुलन के समीकरण बदलने वाला कदम है। भारत पहली बार वैश्विक समुद्री गलियारों, आर्कटिक मार्गों और मध्य-एशिया की सामरिक पटरियों पर प्रभावी उपस्थिति दर्ज करा सकेगा।

यह समझौता यह संदेश भी स्पष्ट करता है कि भारत अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक रणनीतिक निर्णयों का मुख्य निर्माता बन चुका है।

इस बीच, वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार संजीव ठाकुर की नई कविता “मुस्कुराहटें कली-सी हैं कि नहीं” ने साहित्यिक जगत में भी विशेष ध्यान खींचा है। कविता में जीवन की थकान, उम्मीद, फकीरी और मन की झंकार को बेहद कोमल शब्दों में पिरोया गया है।

कविता का सार यही कहता है कि
मुस्कुराहटें ही जीवन की कली हैं, और मन की उमंग ही उसके भीतर की झंकार।


No comments